
इंदौर। नियामक आयोग के समक्ष हर साल इंदौर सहित प्रदेश की तीनों बिजली कम्पनियां घाटे का हवाला देकर दरों में वृद्धि करवा लेती हैं, जिसके चलते घर-घर का बिजली बिल बढ़ता जा रहा है, जबकि भरपूर बिजली की उपलब्धता है। अब बिजली चोरी रोकने और बकायादारों से सख्त वसूली के लिए बिजली थानों की स्थापना की जाएगी, जिसका प्रस्ताव कम्पनियों ने शासन को सौंपा है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई ऊर्जा विभाग की बैठक में इसे मंजूरी भी दे दी गई।
इस तरह के बिजली थाने गुजरात में चल रहे हैं। उसी तर्ज पर अब इंदौर, भोपाल, जबलपुर, उज्जैन, ग्वालियर और रीवा में पहले चरण में 6 थाने खोले जा रहे हैं। यानी इन शहरों में एक-एक बिजली थाना खुलेगा, जहां पर पुलिस विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों को प्रतिनियुक्तियों पर बिजली कम्पनियों में भेजा जाएगा, जिनकी इन थानों पर नियुक्ति होगी। अभी इंदौर की पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी की पारेषण क्षति लगभग साढ़े 12 प्रतिशत है, जबकि मध्य क्षेत्र की 25.70 और पूर्वी क्षेत्र की सबसे अधिक 28.04 फीसदी है। पारेषण, यानी लाइन लॉस क्षति में बिजली चोरी भी शामिल रहती है।
हालांकि इंदौर की कम्पनी ने अपनी पारेषण क्षति विगत वर्षों में घटाई है और वसूली भी अधिक की। बावजूद इसके रसूखदारों से वसूली में समस्या आती है, जिसके चलते अब बिजली थाने बकाया वसूली कराने के साथ-साथ बिजली चोरी भी रोकेंगे और सीधे एफआईआर दर्ज होने से लेकर अन्य कानूनी कार्रवाई भी शुरू हो सकेगी। थानों में नियुक्त टीमें जाकर औचक निरीक्षण भी करेंगी और केस डायरी तैयार कर एफआईआर के साथ कोर्ट में भी ये मामले दर्ज होंगे। दूसरी तरफ 15 अगस्त से सभी सरकारी विभागों में प्रीपैड मीटर भी लगाए जाएंगे।
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