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कर्मचारी को सैलरी के नाम पर मिले ₹78,54,868, बोनस समझकर किया ऐश, कॉल करते रहे परेशान बॉस

November 03, 2025

नई दिल्‍ली । अगर आप नौकरी करते हैं और वेतन या बोनस(Salary or bonus) के नाम पर आपके बैंक खाते(bank accounts) में लाखों रुपये(Lakhs of rupees) आ जाएं, तो आपका पहला प्रतिक्रिया(First Response) होगी कि इसे लौटा दें। लेकिन रूस में एक कर्मचारी ने इसे लौटाने से साफ मना कर दिया। रूस के खांटी-मानसिस्क शहर में एक फैक्ट्री के कर्मचारी पर कंपनी ने 70 लाख रूबल (लगभग 87000 डॉलर) की रकम वापस न करने के लिए मुकदमा ठोक दिया है। बताया जा रहा है कि यह गलत राशि सॉफ्टवेयर की खराबी के कारण गलती से उसके खाते में ट्रांसफर हो गई थी।


दरअसल, इस साल की शुरुआत में जब व्लादिमीर रिचागोव ने अपने बैंकिंग ऐप पर नोटिफिकेशन देखा, तो वह हैरान रह गए। छुट्टियों का वेतन 46954 रूबल (581 डॉलर) था, लेकिन उसके साथ ही 71,12,254 रूबल (₹7854868) का विशाल बोनस भी जुड़ गया।

फैक्ट्री में अफवाहें थीं कि अच्छे साल के बाद ’13वीं सैलरी’ का तोहफा मिलेगा, लेकिन इतनी बड़ी रकम की कल्पना उसने कभी नहीं की थी। हालांकि, यह खुशी ज्यादा टिकी नहीं। जल्द ही अकाउंटिंग डिपार्टमेंट से फोन आने लगे कि 70 लाख रूबल गलती से ट्रांसफर हो गए हैं, और उन्हें लौटाना होगा।

रिचागोव ने चैनल 5 से बात करते हुए बताया कि पैसे आने के बाद उसने इंटरनेट पर खोज की। पता चला कि अगर यह तकनीकी गड़बड़ी है, तो लौटाना जरूरी नहीं, लेकिन अगर बिलिंग की त्रुटि है, तो अनिवार्य है। बाद में पता चला कि यह सॉफ्टवेयर की तकनीकी खराबी थी, इसलिए उन्होंने पैसे रखने का फैसला कर लिया।

वहीं कंपनी के अदालती दस्तावेजों के मुताबिक, यह रकम किसी दूसरी शाखा के 34 कर्मचारियों के वेतन के लिए थी। सॉफ्टवेयर गलती से यह रिचागोव के खाते में चली गई। लेकिन कर्मचारी का तर्क था कि यह कंपनी के नाम से आया था, न कि किसी शाखा के, और पेमेंट ऑर्डर में इसे ‘वेतन’ ही लिखा था, इसलिए वह हकदार है।

रिचागोव ने आगे कहा कि बाद में कंपनी की मांग धमकियों में बदल गई। इसके बाद से कार खरीदी और परिवार समेत दूसरे शहर चले गए। उसने बताया कि रास्ते में ही फैक्ट्री ने मुकदमा कर दिया और उनका बैंक अकाउंट फ्रीज हो गया। उन्होंने कहा कि उन पर अकाउंटेंट से सांठ-गांठ और आर्थिक धोखाधड़ी का आरोप लगा, लेकिन सबूत न होने से केस खारिज हो गया। न सिर्फ रकम लौटाने से इनकार किया, बल्कि लंबी कानूनी जंग छिड़ गई।

निचली और अपीलीय अदालतों ने कंपनी का साथ दिया, क्योंकि रिपोर्टिंग पीरियड के अंत तक कोई बकाया नहीं था और 70 लाख को वेतन नहीं माना गया। इसके बाद उन्होंने कैसेशन अपील की, लेकिन फैसला वही रहा। फिर भी, यह लड़ाई खत्म नहीं हुई। व्लादिमीर रिचागोव ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जो स्वीकार हो गई। वह अभी भी खुद को उस पैसे का मालिक मानता है और लौटाने का कोई इरादा नहीं रखता।

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