
भोपाल: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के कर्मचारी संगठनों (Employee Organizations) द्वारा गुरुवार (16 जनवरी) से सड़क (Road) पर उतारने का क्रम शुरू हो जाएगा. यह आंदोलन (Agitation) लगातार एक महीने तक चलेगा. कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा अपनी प्रमुख 48 मांगे सरकार (Government) के सामने रखी जा रही है. इसी कड़ी में संगठन द्वारा पहले प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन सौंपे जाएंगे. बाद में जनप्रतिनिधियों के सामने गुहार लगाई जाएगी.
मध्य प्रदेश के 30 से ज्यादा कर्मचारी और अधिकारी अधिकारियों के संगठन सरकार के खिलाफ आंदोलन का बिगुल बजा दिया है. आंदोलन के लिए बनाए गए संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष एमपी द्विवेदी ने चर्चा के दौरान बताया कि सरकार के सामने लंबे समय से कर्मचारियों द्वारा अपनी मांगे रखी जा रही थी, लेकिन इन मांगों पर अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया गया. इसी के चलते कर्मचारी संगठनों द्वारा गुरुवार से एक महीने के आंदोलन की शुरुआत की जा रही है.
इस कड़ी में जिला, संभाग और प्रदेश स्तर पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, मुख्य सचिव अनुराग जैन के नाम पर कर्मचारी संगठनों द्वारा ज्ञापन सौंपे पर जाएंगे. इसके बाद विधायक, सांसद और मंत्रियों को ज्ञापन देकर उनसे मांगे पूरी करने की मांग की जाएगी. यह आंदोलन अलग-अलग स्तर पर चलाया जाएगा, जिसमें लाखों की संख्या में मध्य प्रदेश के कर्मचारी और अधिकारियों के साथ-साथ पेंशनर भी शामिल होंगे. कर्मचारी नेताओं के मुताबिक इस आंदोलन को एक महीने तक चलाया जाएगा जिसके पूरी रणनीति तैयार हो गई है.
आंदोलन की अगुवाई कर रहे कर्मचारी नेता एमपी द्विवेदी के मुताबिक सरकार के सामने कई प्रमुख मांगों को रखा जाएगा, जिसमें खाली पदों को भरने, पुरानी पेंशन लागू करने, पदोन्नति, डीए बढ़ाने, पेंशनरों की पेंशन बढ़ाने जैसी कई प्रमुख मांगे शामिल है. कर्मचारी और अधिकारियों द्वारा सड़क पर उतरकर आंदोलन का शंखनाद किया जाएगा.
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