
उज्जैन। महाकालेश्वर मंदिर में लगभग एक माह बाद दो दिन पहले से श्रद्धालुओं का गर्भगृह में प्रवेश शुरू हो गया लेकिन महाकाल के अलावा चिंतामण और कालभैरव जैसे प्रसिद्ध मंदिरों में भक्तों को अभी भी भगवान के दूर से ही दर्शन करने पड़ रहे हैं क्योंकि यहाँ अभी तक गर्भगृह में प्रवेश नहीं दिया जा रहा। इससे नाराज लोगों का कहना है कि शासन ने पूरे प्रदेश में कोरोना की बंदिशें खत्म कर दी तो फिर यहाँ क्यों रोक लगा रखी है। उल्लेखनीय है कि कोरोना की तीसरी लहर के बाद दिसंबर महीने से महाकाल सहित सभी धार्मिक स्थलों पर कोरोना बंदिशों के चलते दर्शन व्यवस्थाएँ बदल दी गई थीं। महाकाल में पहले श्रद्धालुओं का गर्भगृह में प्रवेश रोका गया था, उसके बाद भस्मार्ती में भी अनुमति रद्द कर दी गई थी।
इधर जनवरी में जब हालात सामान्य हुए तो पूरे प्रदेश से एक-एक कर कोरोना के सारे प्रतिबंध वापस ले लिए गए। इसी के साथ महाकालेश्वर मंदिर में पहले भस्मार्ती में श्रद्धालुओं का प्रवेश शुरू किया गया, उसके बाद अब आम श्रद्धालुओं को भी महाकाल के गर्भगृह में दोपहर में 3 घंटे प्रवेश दिया जा रहा है। इसके विपरीत प्रसिद्ध श्री चिंतामण गणेश मंदिर और कालभैरव मंदिर में अभी भी श्रद्धालुओं को गर्भगृह के बाहर से ही भगवान के दर्शन कराए जा रहे हैं। इससे श्रद्धालुओं में नाराजगी है, उनका कहना है कि जब महाकाल जैसे बड़े प्रसिद्ध मंदिर से कोरोना के प्रतिबंध हट गए हैं तो फिर अन्य धर्म स्थलों पर श्रद्धालुओं का गर्भगृह में प्रवेश क्यों नहीं दिया जा रहा। इधर पुजारियों ने बताया कि श्रद्धालु भगवान की प्रतिमा को स्पर्श करना चाहते हैं लेकिन नियमों के चलते उन्हें गर्भगृह में रोका जाता है तो विवाद की स्थिति बन रही है। इस दिशा में प्रशासन को उचित निर्णय लेकर गर्भगृह में प्रवेश को लेकर जल्द दिशा निर्देश जारी करना चाहिए। उल्लेखनीय है कि 23 मार्च से चिंतामण गणेश की जत्रा आरंभ हो रही है और इस बार जत्रा के अवसर पर चिंतामण गणेश मंदिर समिति सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन भी करने जा रही है। जत्रा में हर बुधवार को यहाँ भजन और अन्य कार्यक्रम संपन्न होंगे।
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