
नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees’ Provident Fund Organisation- EPFO) ने इस साल पीएफ खाते से आंशिक और पूरी निकासी समेत अन्य संबंधित नियमों में बड़े बदलाव (Rules Major changes) लागू किए हैं। इसका उद्देश्य निकासी प्रक्रिया को सबके लिए आसान, तेज और पारदर्शी बनाना है। इन बदलावों से ईपीएफओ सदस्य अपनी जमा राशि को अब पहले से बेहतर तरीके से उपयोग कर सकते हैं।
1. नौकरी छोड़ने पर निकासी
पहले के नियमों के अनुसार, अगर कोई ईपीएफओ सदस्य एक महीने तक बेरोजगार रहता था तो वह अपने पीएफ खाते से 75% रकम निकाल सकता था और दो महीने की बेरोजगारी के बाद बाकी 25% भी निकालने की अनुमति थी। नए नियमों में नौकरी छोड़ने पर कर्मचारी 75% रकम तुरंत निकाल सकता है लेकिन बाकी 25 फीसदी राशि 12 महीने की लगातार बेरोजगारी के बाद निकाली जा सकेगी।
2. नौकरी छूटने के बाद पेंशन निकासी
पहले नौकरी छूटने के बाद दो महीने की बेरोजगारी पर पेंशन की रकम निकालने की अनुमति थी। अब नए नियमों के तहत इस प्रतीक्षा अवधि को बढ़ा दिया गया है। सदस्य अब अपनी पेंशन राशि 36 महीने की बेरोजगारी के बाद ही निकाल सकेंगे।
3. मेडिकल इलाज के लिए
पहले सदस्य छह महीने का मूल वेतन और महंगाई भत्ता या फिर कर्मचारी के अपने योगदान, इनमें से जो भी कम हो, उतनी राशि निकाल सकते थे। इस सुविधा का लाभ एक से अधिक बार लिया जा सकता था। नए नियमों में भी यह व्यवस्था बरकरार रखी गई है लेकिन अब इसके लिए अब 12 महीने की सेवा शर्त लागू की गई है।
4. शिक्षा और शादी के लिए
पुराने नियमों के तहत, सदस्यता के सात साल पूरे होने के बाद योगदान का 50% तक निकाल सकते थे। इस दौरान शिक्षा के लिए तीन और शादी के लिए दो बार निकासी की अनुमति थी। नए नियमों में अब शिक्षा के लिए 10 बार तक और शादी से जुड़े खर्चों के लिए पांच बार तक रकम निकाली जा सकती है।
5. घर खरीदने-बनाने के लिए
पहले घर खरीदने, घर बनाने या प्लॉट लेने के लिए पीएफ खाते से 24 से 36 महीने की नौकरी पूरी होने के बाद ही निकाला जा सकता था। सदस्य कुल योगदान का 90% तक ब्याज सहित या खरीद की लागत, इनमें से जो भी कम हो, निकाल सकते थे। नए नियमों के तहत अब सभी तरह की आंशिक निकासी के लिए न्यूनतम 12 महीने की सेवा अवधि तय कर दी गई है। बाकी शर्तें वही रहेंगी।
6. कंपनी बंद होने पर नियम
पहले अगर कोई कंपनी बंद हो जाती थी तो कर्मचारी अपने पीएफ खाते से निकासी कर सकता था, लेकिन यह रकम या तो कर्मचारी के हिस्से तक सीमित होती थी या कुल जमा राशि के 100% तक ही अनुमति थी। अब नए नियमों के अनुसार, कर्मचारी कुल पीएफ कोष से 75% हिस्सा ही निकाल सकता है, जबकि 25% राशि खाते में रखना अनिवार्य होगी, ताकि न्यूनतम जमा बनी रहे।
7. महामारी जैसी स्थिति में
पहले किसी महामारी या महामारी जैसी स्थिति में कर्मचारी तीन महीने का मूल वेतन और महंगाई भत्ता या फिर पीएफ कोष का 75% हिस्सा, इनमें से जो भी कम हो, उतनी राशि निकाल सकते थे। अब नए नियमों में भी यह शर्त लगभग पहले जैसी ही रखी गई है, लेकिन नियमों को और स्पष्ट कर दिया गया है ताकि सभी सदस्यों के लिए प्रक्रिया आसान हो सके।
8. प्राकृतिक आपदा
पहले के नियमों में, प्राकृतिक आपदा की स्थिति में पीएफ खाते से निकासी ₹5,000 तक या कर्मचारी के अपने योगदान (ब्याज सहित) का 50%, इनमें से जो भी कम हो, उसी सीमा तक की जा सकती थी। नए नियमों के तहत, इस श्रेणी समेत सभी आंशिक निकासियों के लिए न्यूनतम 12 महीने की सेवा अवधि तय कर दी गई है। इसका मतलब है कि पीएफ खाते से आंशिक पैसा निकालने के लिए अब कम से कम एक साल की नौकरी पूरी होना जरूरी होगा।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved