
हिसार: हरियाणा (Haryana) के हिसार की महिला यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा (Jyoti Malhotra) को पाकिस्तान (Pakistan) के लिए जासूसी (Spying) के आरोप में गिरफ्तार (Arrest) किय़ा गया था. वह करीब एक माह से जेल में बंद है और अब ज्य़ोति ने जमानत याचिका (Bail Plea) दाखिल की है. बुधवार को जमानत याचिका पर कोर्ट में सुनवाई हुई और फिर कोर्ट ने उसकी बेल खारिज कर दी. न्यायिक दंडाधिकारी सुनील कुमार ने पहले फैसला सुरक्षित रख लिया था लेकिन शाम चार बजे ज्योति की याचिका खारिज कर दी. हालांकि, वकील ने पांच पुख्ता दलीलें दीं, जिन्हें आधार पर बेल मांगी थी.
सुनवाई के दौरान ज्योति के वकील कुमार मुकेश ने कोर्ट के समक्ष जोरदार दलीलें पेश कीं. उन्होंने कहा कि ज्योति पर लगाए गए आरोप तथ्यहीन हैं और उन पर लगे कानूनी प्रावधान इस मामले में लागू नहीं होते. वहीं सरकारी वकील की ओर से कोई विशेष तर्क प्रस्तुत नहीं किए गए. उन्होंने केवल यह कहा कि मामला संवेदनशील है और अभी जांच जारी है, इसलिए जमानत नहीं दी जानी चाहिए.
वकील कुमार मुकेश ने कोर्ट में ये 5 प्रमुख बिंदु रखे:
- ज्योति मल्होत्रा वर्ष 2023 में पाकिस्तान हाई कमीशन गई थीं, उस समय देश में भारतीय दंड संहिता (IPC) लागू थी, जबकि एफआईआर में भारतीय न्याय संहिता (BNSS) की धारा 152 लगाई गई है. इस धारा के तहत दर्ज मामला दरअसल IPC की धारा 124-ए (राजद्रोह) से संबंधित है, जिस पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रोक लगाई गई है. अतः इस आधार पर राजद्रोह का केस बनता ही नहीं.
- एफआईआर में ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट की धाराएं 3 और 5 लगाई गई हैं, जबकि हिसार पुलिस अधीक्षक ने प्रेस नोट में स्पष्ट किया था कि ज्योति के पास सैन्य, रणनीतिक या संवेदनशील जानकारी होने का कोई प्रमाण नहीं मिला है. ऐसे में इन धाराओं का उपयोग भी अनुचित है.
- सह-आरोपी हरकीरत सिंह को पुलिस ने पूछताछ के बाद दो मोबाइल फोन जब्त कर छोड़ दिया, जबकि ज्योति को अब तक पुलिस कस्टडी में रखा गया है. यह पक्षपातपूर्ण कार्रवाई है.
- मौजूदा एफआईआर 15 मई 2025 को की गई पूछताछ के आधार पर दर्ज की गई है, जिसमें पूरी कहानी ज्योति के ही कथनों पर आधारित है. वकील का तर्क है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20 के तहत किसी व्यक्ति को खुद के खिलाफ गवाह नहीं बनाया जा सकता, अतः यह कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन है.
- कोर्ट फाइल में अब तक जो दस्तावेज़ प्रस्तुत किए गए हैं, उनमें पुलिस की ओर से ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं दिया गया है, जिससे यह साबित हो सके कि ज्योति मल्होत्रा पर लगे आरोप प्रथम दृष्टया सही हैं.