
नई दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है और संसद के ऊपर सदन राज्यसभा में इथेनॉल को लेकर केंद्र सरकार से सवाल किया गया. सरकार ने कल सोमवार को इथेनॉल से जुड़ी चिंताओं को खारिज करते हुए बताया कि E20 फ्यूल वाली गाड़ियों में किसी तरह की कोई समस्या नहीं आई है. स्टार्ट करने में भी कोई दिक्कत नहीं आती है. जहां तक पुरानी गाड़ियों की बात है तो उसके परफॉर्मेंस पर भी असर नहीं पड़ा.
कांग्रेस सांसद शक्तिसिंह गोहिल ने राज्यसभा में इथेनॉल को लेकर सरकार से यह जानना चाहा था कि 31 मार्च, 2025 तक, पिछले 5 सालों में पेट्रोल या डीजल में कितना इथेनॉल मिलाया गया, उसकी जानकारी साल के हिसाब से दी जाए. साथ में पेट्रोल या डीजल में प्रति लीटर कितना इथेनॉल मिलाया गया? इथेनॉल को मिलाने से पेट्रोल या डीजल की कीमत में प्रति लीटर के हिसाब से कोई फायदा हुआ? क्या इस वजह से लोगों को कोई फायदा हुआ?
पेट्रोलियम और नेचुरल गैस राज्य मंत्री सुरेश गोपी ने बताया कि EBP (Ethanol Blending Percentage) प्रोग्राम के तहत, ऑयल मार्केटिंग कंपनियां (OMCs) BIS स्टैंडर्ड के अनुसार पेट्रोल के साथ इथेनॉल के अलग-अलग ब्लेंड बेचती हैं. फिलहाल, इथेनॉल की ब्लेंडिंग सिर्फ पेट्रोल में की जाती है. उन्होंने आगे बताया कि पिछले 5 सालों के दौरान पेट्रोल में मिलाए गए इथेनॉल की मात्रा में लगातार इजाफा हुआ है. हर साल मिश्रण की औसतन सप्लाई लगातार बढ़ी है.
दिसंबर 2020 से लेकर नवंबर 2021 तक EBP के तहत 302.30 करोड़ लीटर तेल में 8.10 फीसदी इथेनॉल मिलाया गया, फिर 2021-2022 में यह दर बढ़कर 10.02% तक पहुंच गई. 2022-2023 में इसकी दर बढ़कर 12.06% (11 महीने में) हो गई. 2023-24 में 707.40 करोड़ लीटर पेट्रोल में यह वृद्ध् 14.60% हो गई. जबकि जारी साल में नवंबर 2024 से लेकर अक्टूबर 2025 तक यानी 11 महीनों में यह वृद्धि दर 19 फीसदी से अधिक हो गई.
केंद्रीय मंत्री गोपी ने बताया कि इथेनॉल की खरीद कीमतें पिछले कुछ सालों में बढ़ी हैं. सप्लाई वर्ष 2024-25 में, इथेनॉल की औसत खरीद लागत 71.55 रुपये प्रति लीटर आई है (जिसमें ट्रांसपोर्टेशन और GST भी शामिल), जो रिफाइंड पेट्रोल की लागत से कहीं ज्यादा है. पेट्रोल-डीजल के दामों में कमी के बारे में उन्होंने बताया कि पेट्रोल (इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल) की कीमत 26 जून 2010 से बाजार द्वारा तय की जाती है. तब से लेकर, ऑयल मार्केटिंग कंपनियां इंटरनेशनल प्रोडक्ट कीमतों, घरेलू बाजार की स्थितियों आदि के आधार पर पेट्रोल की कीमतें तय करती हैं.
दूसरी ओर, राज्यसभा सांसद राजिंदर गुप्ता की ओर से पूछे गए सवाल पर केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी ने बताया कि सरकार कई मकसदों के साथ इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल कार्यक्रम के तहत पेट्रोल में इथेनॉल के मिलाने को बढ़ावा दे रही है. एक हरित ईंधन के रूप में, इथेनॉल सरकार के पर्यावरणीय स्थिरता प्रयासों का समर्थन करता है. साथ ही यह कच्चे तेल पर आयात निर्भरता को भी कम करता है, और इस वजह से विदेशी मुद्रा की बचत होती है और घरेलू कृषि क्षेत्र को बढ़ावा मिलता है.
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि National Policy on Biofuels 2018 को साल 2022 में संशोधित किया गया और इसके तहत पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को 2030 तक तय कर दिया गया. OMCs ने जून 2022 में पेट्रोल में 10 फीसदी इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल कर लिया. इसी तरह इथेनॉल आपूर्ति साल (ESY) 2024-25 के दौरान, 1000 करोड़ लीटर से अधिक इथेनॉल का मिश्रण किया गया और , इस तरह पेट्रोल में औसतन 19.24% इथेनॉल का मिश्रण हासिल कर लिया गया. अक्टूबर में, 19.97% इथेनॉल मिश्रण हासिल किया गया है.
उन्होंने इस योजना से होने वाले लाभ के बारे में बताया कि ESY 2014-15 से अक्टूबर 2025 तक किसानों को 1,36,300 करोड़ रुपये से अधिक का त्वरित भुगतान किया गया है, इसके अलावा 1,55,000 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी मुद्रा की बचत हुई है, साथ ही करीब 790 लाख मीट्रिक टन CO2 में कमी आई है और 260 लाख मीट्रिक टन से अधिक कच्चे तेल का प्रतिस्थापन हुआ है.
इथेनॉल के मिश्रण की वजह से आने वाली चुनौतियों को लेकर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि NITI आयोग के तहत 26 दिसंबर 2020 को गठित अंतर-मंत्रालयी समिति (IMC) ने वाहन अनुकूलता और माइलेज से जुड़े कई पहलुओं की जांच की थी. इस रिसर्च को इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL), ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI), और सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) द्वारा किए गए अनुसंधान अध्ययनों से भी समर्थन मिला. उन्होंने बताया कि E20 फ्यूल वाली गाड़ियों पर किए गए बड़े फील्ड ट्रायल में कोई कम्पैटिबिलिटी समस्या या E20 का कोई नेगेटिव असर सामने नहीं आया.
उन्होंने बताया कि इससे यह भी पता चला कि पुरानी गाड़ियों के परफॉर्मेंस में भी कोई खास बदलाव नहीं होता है, और न ही E20 फ्यूल से चलाने पर उनमें कोई असामान्य टूट-फूट होती है. ड्राइव करने में भी आसानी होती है और यह आसानी से स्टार्ट भी हो जाती है. इसे अलावा इसके मेटल कम्पैटिबिलिटी और प्लास्टिक कम्पैटिबिलिटी जैसे पैरामीटर में कोई समस्या नहीं देखी गई है.
केंद्रीय मंत्री ने पुरानी गाड़ियों में कुछ मामूली चीजों की बदलाव की बात करते हुए कहा कि हालांकि सिर्फ कुछ पुरानी गाड़ियों में कुछ रबर के पार्ट्स और गैस्केट को नॉन-ब्लेंडेड फ्यूल इस्तेमाल करने से पहले बदलने की जरूरत पड़ सकती है. यह रिप्लेसमेंट भी महंगा नहीं है और रूटीन सर्विसिंग के दौरान आसानी से यह बदलाव किया जा सकता है. इसे गाड़ी की पूरी लाइफ में एक बार करने की जरूरत पड़ सकती है और यह किसी भी ऑथराइज़्ड वर्कशॉप में किया जाने वाला एक आसान प्रोसेस है.
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