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PM मोदी से फोन कॉल के बाद बोलीं EU चीफ लेयेन, “यूक्रेन युद्ध को रोकने में भारत की अहम भूमिका

September 05, 2025

नई दिल्‍ली । चीन (China) की यात्रा से लौटने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने पहली बार यूरोपीय यूनियन (European Union) की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन (Ursula von der Leyen) के साथ फोन पर बातचीत की। इस बातचीत की जानकारी देते हुए उर्सुला ने कहा कि यूक्रेन में चल रहे यु्द्ध को रोकने में भारत की भूमिका अहम है। उन्होंने कहा कि रूस और उसके आक्रामक युद्ध को समाप्त करने और शांति की दिशा में एक रास्ता बनाने में भारत की एक महत्वपूर्ण भूमिका है। इतना ही नहीं उन्होंने यूक्रेनी राष्ट्रपति के लगातार संपर्क में रहने के लिए भी भारत को धन्यवाद दिया।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर इस बातचीत की जानकारी साझा करते हुए लेयेन ने यूक्रेन युद्ध को वैश्विक चिंता बताया। उन्होंने लिखा, “यह युद्ध वैश्विक सुरक्षा के लिए बहुत हानिकारक है, यह दुनिया की आर्थिक स्थिरता को कमजोर करता है इसलिए यह दुनिया के लिए एक जोखिम है।”

भारत और यूरोपीय यूनियन के बीच रिश्तों की मजबूती पर बात करते हुए लेयेन ने लिखा, “दोनों पक्ष भविष्य की ओर देख रहे हैं। ऐसे में 2026 में हम जल्दी ही यूरोपीय संघ-भारत शिखर सम्मेलन में एक संयुक्त रणनीतिक एजेंडे पर सहमत होने की योजना बना रहे हैं। इस वर्ष के अंत तक हम मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत पूरी करने के लिए भी पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। इसके लिए हमारी बातचीत जारी है।”


दोनों पक्षों के बीच में मुक्त व्यापार समझौते पर पहुंचने के लिए यह बातचीत पीएम मोदी और उर्सुला के बीच फरवरी में हुई बातचीत का ही अगला वर्जन था। फरवरी में दोनों नेताओं ने इस वर्ष के अंत तक इस लंबित समझौते को अंतिम रूप देने पर अपनी सहमति जताई थी।

आपको बता दें कुछ समय पहले ही जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान वेडफुल भारत आए थे। इनके साथ प्रेस ब्रीफिंग के दौरान जयशंकर ने कहा था कि भारत चाहता है कि यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते को लेकर जो बातचीत चल रही है, वह जल्दी ही एक निर्णायक निष्कर्ष पर पहुंचे। गौरतलब है कि 8 सितंबर से दोनों पक्षों के बीच में एफटीए को लेकर 13वें दौर की बातचीत शुरू होगी। दोनों पक्षों ने आठ साल के अंतराल के बाद जून 2022 में बातचीत फिर से शुरू की थी, जिसका उद्देश्य एक व्यापक एफटीए के साथ-साथ एक निवेश संरक्षण समझौते और भौगोलिक संकेतकों पर एक समझौते पर हस्ताक्षर करना था। लेकिन बाजार पहुंच को लेकर मतभेद के कारण 2013 में यह प्रक्रिया रुक गई थी।

भारत और यूरोपीय यूनियन समेत अन्य देशों की बातचीत इसलिए भी अहम हो जाती है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी हाल ही में चीन की यात्रा से लौटे हैं। और अमेरिका को धता बताते हुए भारत लगातार रूसी तेल को भी खरीद रहा है। इससे गुस्साए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाए हुए हैं और लगातार भारत को निशाने पर लेने की कोशिश करते रहते हैं। ऐसे यूरोपीय देशों के साथ मुक्त व्यापार की चर्चा और लगातार संपर्क भारत के महत्व को उजागर करता है।

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