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सिंचाई सुविधा होने के बाद भी 65 हजार हेक्टेयर में नहीं पहुंचा पानी

November 07, 2022

  • रबी मौसम में इंजीनियरों की लापरवाही उजागर, किसान हो रहे हैं परेशान

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मप्र को पूर्णत: सिंचित बनाना चाहते हैं। इसके लिए प्रदेशभर में सिंचाई परियोजनाओं को तेजी से आकार दिया जा रहा है। लेकिन रबी मौसम में इंजीनियरों की लापरवाही के कारण किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है। जानकारी के अनुसार प्रदेश में रबी मौसम के दौरान 31.70 लाख हेक्टेयर में ही किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिल सका। जबकि करीब 65 हजार हेक्टेयर में टेल तक पानी नहीं पहुंचने से किसानों को परेशानी उठानी पड़ी। इसे देखते हुए जल संसाधन विभाग ने इंजीनियरों की खिंचाई करते हुए रिपोर्ट तलब की है। सबसे ज्यादा 22, 314 हेक्टेयर में सिंचाई इंदौर ताप्ती कछार में नहीं हो सकी। जानकारी के अनुसा मप्र में जल संसाधन विभाग द्वारा वर्ष 2021-22 तक 35.83 लाख हेक्टेयर में सिंचाई क्षमता विकसित की गई है। इसके तहत किसानों को खरीफ फसलों के लिए 2.78 लाख हेक्टेयर तथा रबी फसलों के लिए 31.70 लाख हेक्टेयर में ही सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जा सका। साथ ही ग्रीष्मकालीन फसलों के लिए 89 हजार हेक्टेयर में मूंग की फसल के लिए पानी दिया गया है। रबी फसलों में 65 हजार हेक्टेयर में टेल तक पानी नहीं पहुंचने से एसीएस जल संसाधन अफसरों की खिंचाई की है। बताया जाता है कि मार्च 2022 तक जल संसाधन के डैम, तालाब, बैराज आदि से 33.66 रही है। लाख हेक्टेयर में ही सिंचाई हो सकी है।

3 चरणों में 53 लाख हैक्टेयर तक बढ़ेगी सिंचाई क्षमता
मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार राज्य सरकार ने वर्ष-2023, 2025 और 2027 तक का तीन चरण का सिंचाई प्लान तैयार किया है। इसमें 31 लाख हैक्टेयर सिंचाई क्षमता को बढ़ाकर 53 लाख हैक्टेयर तक किया जाएगा। इससे प्रदेश लगभग पूरी तरह सिंचित क्षेत्र बन जाएगा। 2023 तक आठ लाख हैक्टेयर क्षमता विकसित की जाएगी। इसके लिए 9000 करोड़ की परियोजनाओं को शुरू कर दिया गया है, ताकि दिसंबर 2023 तक आते-आते तय सिंचाई क्षमता पाई जा सके। जानकारी के अनुसार आत्मनिर्भर मप्र के लिए मुख्यमंत्री ने सभी विभागों को टारगेट बेस काम दिया है। विभागों ने काम करना शुरू कर दिया है। इसके तहत सरकारी योजनाओं के लक्ष्यों को इस प्रकार रिवाइज किया जाने लगा है, जिससे विधानसभा चुनाव 2023 में भी इसका फायदा मिल सके। इसके तहत आत्मनिर्भर किसान के प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया गया है। इसमें प्रदेश में सिंचाई की क्षमता को अगले दो साल में आठ लाख हैक्टेयर से ज्यादा बढ़ाना तय किया गया है।

किसान हो रहे हैं परेशान
प्रदेश में कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है। रायसेन के ग्राम हरसिली के किसान अजब सिंह का कहना है कि मेरा खेत अन्य खेतों से नीचे है और वहां तक नहर नहीं पहुंची है। आसपास के खेतों में नहर से सिंचाई का पानी मिल रहा है, लेकिन हमारे खेत तक पानी नहीं पहुंच पा रहा। इस संबंध में कई बार सिंचाई विभाग में शिकायत की, लेकिन कोई निराकरण नहीं होने पर खेत में ही नलकूप खुदवाना पड़ा। वहीं शमशाबाद के किसान इरफान जाफरी का कहना है कि मेरे ही खेत नहीं, बल्कि आसपास के किसानों के खेत गांव के किनारे आखिरी में होने की वजह से टेल तक नहरों से पानी नहीं मिल पाता है। कई बार तो मोटर लगाकर पानी लेना पड़ता है। इस बारे में कई बार इंजीनियरों से शिकायत की गई, मगर समस्या हल नहीं हुई। जल संसाधन विभाग के अपर सचिव व्हीएस टेकाम का कहना है कि प्रदेश के विभिन्न कछारों में 2022 में रबी फसलों के दौरान 65 हजार हेक्टेयर में कम सिंचाई होने के मामले की रिपोर्ट चीफ इंजीनियरों से तलब की गई है। टेल तक पानी नहीं पहुंचने के कारण कम सिंचाई हुई या अन्य कारणों का पता सरकार लगा


किसान की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी
सिंचाई क्षमता में तेजी से बढ़ोत्तरी होने पर राज्य सरकार को दोहरा फायदा है। एक ओर इससे सिंचाई बढऩे पर किसान की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी,दूसरी ओर नर्मदा जल के वर्ष-2034 तक उपयोग करने के डैडलाइन में भी फायदा होगा। सरकार इस सिंचाई क्षमता उपयोग के डाटा को नर्मदा ट्रिब्यूनल में भी पेश कर पाएगी। इस कारण इस पर और तेजी से काम हो रहा है। वर्तमान में करीब नौ हजार करोड़ की सिंचाई परियोजनाएं शुरू की गई हैं। इनमें सात हजार करोड़ की परियोजनाएं तो वर्ष-2021 के दौरान ही शुरू की गई हैं। इसके अलावा आगामी सालों में करीब आठ हजार करोड़ की परियोजनाएं और शुरू होंगी। इन परियोजनाओं में शिकवे-शिकायतें भी बहुत हैं। करीब तीन हजार करोड़ की परियोजनाओं में विभिन्न स्तर पर शिकायतें हैं। इनमें अधिकतर मध्यम परियोजनाएं शामिल हैं। सरकार ने आगे और परियेाजनाओं के लिए केंद्रीय मदद की भी तैयारी की है। इसके लिए जल्द ही अफसरों का एक दल केंद्रीय मंत्रालय बजट मांग लेकर जाएगा। इसके अलावा अभी की लंबित किस्तों का तकाजा भी किया जा रहा है।

7 परियोजनाओं से डेढ़ लाख हेक्टेयर में सिंचाई
पार्वती और सुठालिया बड़ी परियोजनाओं तथा पांच मध्यम परियोजनाओं से भोपाल, विदिशा, सीहोर, राजगढ़ सहित आधा दर्जन जिलों में डेढ लाख हेक्टेयर में सिंचाई होगी। सरकार ने इसके लिए रोड मैप तैयार किया है, जिसमें बाधों में जलभराव क्षमता बढ़ाने और खेतों तक पाइपलाइन बिछाने का काम होगा। खेतों तक पानी पहुंचाने से पानी की बर्बादी बचेगी। पानी पहुंचाने में ज्यादा समय भी नहीं लगेगा। यह काम दो से तीन वर्ष में पूरा होगा। सभी परियोजनाओं की जद में करीब 24 गांव आ रहे हैं। इनमें से 12 गांवों को मुआवजा दिया जा चुका है। सबसे ज्यादा गांव सीहोर और राजगढ़ जिले के प्रभावित हो रहे हैं। तीन फसलों के लिए पानी- इन परियोजनाओं से किसानों को तीन फसलों के लिए पानी मिलेगा। नहर आने के बाद किसानों को बोर के पानी पर आश्रित नहीं होना पड़ेगा। सरकार किसानों को ड्रिप सिंचाई परियोजना से जोडऩे का प्रयास करेगी।

प्रदेश में साल दर साल बढ़ रही सिंचाई क्षमता
प्रदेश में जब से भाजपा की सरकार बनी है सिंचाई क्षमता साल दर साल बढ़ती जा रही है। इस कारण सरकार ने प्रदेश में सिंचाई क्षमता को चुनाव कैम्पेन में भी रखना तय किया है, क्योंकि कांग्रेस शासनकाल से इसकी तुलना में बेहद ज्यादा वृद्धि हुई है। वर्ष 2003 में प्रदेश में महज 6.20 लाख हैक्टेयर सिंचाई क्षमता थी, जो अब बढ़कर 31.70 लाख हैक्टेयर तक हो गई है। इसमें दोगुना वृद्धि के लिए आगे प्लान है। इस कारण सिंचाई क्षमता का विकास सरकार अपनी बड़ी उपलब्धि मानती है। प्रदेश में 2007-08 में 7.85 लाख हैक्टेयर सिंचाई क्षमता थी जो 2013-14 में 23.30 लाख हैक्टेयर, 2018-19 में 27.19 लाख हैक्टेयर, 2019-20 में 29.24 लाख हैक्टेयर, 2020-21 में 30.45 लाख हैक्टेयर और 2021-22 में 31.70 लाख हैक्टेयर सिंचाई क्षमता हो गई है। वहीं तीन चरण में दिसंबर 2023 में 40 लाख हैक्टेयर, दिसंबर 2025 में 46 लाख हैक्टेयर और दिसंबर 2027 में 53 लाख हैक्टेयर सिंचाई क्षमता करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

 

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