
इंदौर। पुलिस कमिश्नरी के बाद भी शहर में अपराधों में कोई कमी नहीं आई है। दो थाने तो ऐसे हैं जहां हर माह 125 से 150 केस दर्ज हो रहे हैं। ये पिछले कई सालों से अपराध में नंबर वन और टू बने हुए हैं। इस साल भी यह सिलसिला जारी है। दोनों थानों को तोडक़र नए थाने बनाने का प्रस्ताव सालों से अटका पड़ा है, जिसके कारण यहां अपराध रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। शहर में पुलिस कमिश्नरी लागू हुए लगभग तीन साल होने को हैं, जबकि पुलिस कमिश्नरी में अब 32 थाने हैं। लेकिन दो थाने ऐसे हैं, जहां अपराध लगातार बढ़ रहे हंै। बाणगंगा थाने में इस साल के पांच माह में अब तक 721 केस दर्ज हो चुके हंै। हर माह 150 केस दर्ज हो रहे हैं।
यह थाना सालों से अपराध में नंबर वन बना हुआ है। वहीं दूसरा थाना लसूडिय़ा है। यहां इस साल पांच माह में अब तक 640 केस दर्ज हो चुके हंै। इस हिसाब से हर माह 125 केस दर्ज हो रहे हैं। बाणंगगा थाने को काटकर नया सुपर कॉरिडोर थाना बनाने का प्रस्ताव दो साल पहले भेजा गया था, जबकि लसूडिय़ा थाने को काटकर महालक्ष्मीनगर थाना बनाने का प्रस्ताव है, लेकिन ये फाइल में ही दबा हुआ है, जिसके चलते इन दोनों थानों में अपराध लगातार बढ़ रहे हैं और पुलिस उस पर अंकुश नहीं लगा पा रही है।
एक और पालदा थाने का भी प्रस्ताव है। भंवरकुआं को काटकर इस थाने को बनाने की कवायद चल रही है, लेकिन यह भी अस्तित्व में नहीं आ पाया है। इसके अलावा कुछ और थाने हैं, जहां तेजी से अपराध बढ़ रहे हंै। यहां भी हर माह 100 के लगभग केस दर्ज हो रहे हैं। ये थाने चंदननगर 540 केस, भंवरकुआं 560 केस, खजराना 440 केस, विजयनगर 420 केस, राजेंद्रनगर 418 केस और आजादनगर 400 केस पांच माह में दर्ज हुए हैं। शहर के 32 थानों में से 8 थानों में सबसे अधिक अपराध हो रहे हैं।
सबसे कम अपराध वाले थाने
अपराध में सबसे कम सराफा थाने में पांच माह में 60 केस दर्ज हुए हैं, जबकि पंढरीनाथ में 65, छोटी ग्वालटोली में 90, सदर बाजार में 126 और रावजी बाजार में 127 केस दर्ज हुए हैं। सराफा जहां व्यावसायिक क्षेत्र है, वहीं बाकी संवेदनशील थानों में आते हैं, लेकिन इसके बावजूद यहां अपराध कम हैं।
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