
नई दिल्ली । देश के निजी मेडिकल कॉलेजों (Private medical colleges) में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के प्रमाणपत्रों (certificates) के दुरुपयोग को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। पता चला है कि EWS श्रेणी के लगभग 140 से अधिक उम्मीदवारों ने पोस्टग्रेजुएट (PG) मेडिकल कोर्स में मैनेजमेंट और एनआरआई कोटा (NRI quota) के तहत सीटें हासिल की हैं- जिनकी ट्यूशन फीस ही 25 लाख रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये से अधिक प्रति वर्ष तक है।
गौरतलब है कि भारत में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित वार्षिक पारिवारिक आय सीमा 8 लाख रुपये है। यह सीमा सामान्य श्रेणी के उन परिवारों पर लागू होती है जो अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) या अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में नहीं आते। यदि किसी परिवार की कुल वार्षिक आय (वेतन, व्यवसाय, कृषि आदि सभी स्रोतों से) 8 लाख रुपये से कम है तथा परिवार के पास 5 एकड़ से अधिक कृषि भूमि नहीं है, तो वह व्यक्ति EWS प्रमाण-पत्र प्राप्त करके केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले और केंद्रीय सरकारी नौकरियों में 10% आरक्षण का लाभ ले सकता है।
‘कम रैंक आने पर अचानक NRI बन जाते हैं’
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, एक पीजी ट्रेनी डॉक्टर ने बताया कि ये उम्मीदवार NEET PG परीक्षा में EWS के रूप में आवेदन करते हैं और जब रैंक बहुत खराब आती है, तो वे अचानक NRI बन जाते हैं और करोड़ों रुपये देकर सीटें खरीद लेते हैं। यह सिर्फ भारत में ही संभव है।
डॉक्टर ने आगे कहा कि यह मामला पिछले वर्ष भी सामने आया था, लेकिन फर्जी EWS प्रमाणपत्रों की जांच को लेकर सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे योग्य उम्मीदवारों के अवसर प्रभावित होते हैं।
उदाहरण जो संदेहों को और गहरा करते हैं
जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, बेलगावी
एक EWS उम्मीदवार जिसकी NEET PG रैंक 1.1 लाख से भी खराब थी, उसने MD डर्मेटोलॉजी में एनआरआई कोटा की सीट ली, जिसके लिए सालाना फीस 1 करोड़ रुपये से अधिक है।
विनायका मिशन्स मेडिकल कॉलेज, पुडुचेरी
एक अन्य EWS उम्मीदवार जिसकी रैंक 84000 से नीचे थी, उसने MD जनरल मेडिसिन की एनआरआई सीट ली, जिसकी फीस 55 लाख रुपये प्रतिवर्ष है।
संतोष मेडिकल कॉलेज
यहां तीन EWS उम्मीदवारों ने रेडियोलॉजी (76 लाख/वर्ष), जनरल मेडिसिन और OBS-Gynae (50 लाख/वर्ष) जैसे महंगे कोर्स चुने हैं।
डॉ. डीवाई पाटिल मेडिकल कॉलेज, नवी मुंबई
मैनेजमेंट कोटे की जनरल मेडिसिन की 16 सीटों में से 4 सीटें EWS उम्मीदवारों को गई हैं, जिनकी फीस 48.5 लाख रुपये वार्षिक है। यही नहीं, एक EWS उम्मीदवार ने MS ऑर्थोपेडिक्स की सीट ली है, जिसकी फीस 62.5 लाख रुपये प्रति वर्ष है।
NEET PG सीटें और सूची का पैमाना
देशभर में 52000 से अधिक PG मेडिकल सीटें (MD, MS, PG Diploma) हैं। 27000 उम्मीदवारों की पहली राउंड की काउंसलिंग सूची जारी कर दी गई है। 2.4 लाख उम्मीदवारों ने NEET PG परीक्षा दी, जिनमें से 1.3 लाख योग्य घोषित हुए।
फर्जी EWS प्रमाणपत्र? कार्रवाई की मांग तेज
इन मामलों के सामने आने के बाद मेडिकल छात्रों और विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी ऊंची फीस देने में सक्षम उम्मीदवार कैसे EWS श्रेणी में आते हैं? यदि वे वास्तव में आर्थिक रूप से कमजोर हैं, तो करोड़ों रुपये की मैनेजमेंट या NRI सीटें कैसे जुटा रहे हैं?
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