
नई दिल्ली । भारत(India) ने अपनी पूर्वोत्तर सीमा(Northeast border) को और मजबूत(Strong) करने के लिए बड़े पैमाने पर रेल परियोजना(Rail Project) को मंजूरी(Approval) दी है। इस योजना के तहत 500 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बिछाई जाएगी, जिसमें पुल और सुरंगें भी शामिल होंगी। इन रेलमार्गों के जरिए चीन, बांग्लादेश, म्यांमार और भूटान से सटी दूरदराज की सीमावर्ती जगहों तक पहुंच आसान होगी।
इस परियोजना पर सरकार करीब 30 हजार करोड़ रुपये (लगभग 3.4 अरब डॉलर) खर्च करेगी और इसे चार साल के भीतर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यह कदम उस समय उठाया गया है जब भारत और चीन के रिश्तों में हाल में कुछ नरमी के संकेत मिले हैं, लेकिन दशकों पुराने उतार-चढ़ाव वाले संबंधों को देखते हुए भारत ने दीर्घकालिक रणनीति तैयार की है।
हालांकि हाल के महीनों में भारत और चीन के बीच संबंधों में सुधार के संकेत दिखे हैं, लेकिन यह रेल परियोजना दशकों पुराने उतार-चढ़ाव वाले रिश्तों को ध्यान में रखकर बनाई गई दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है। पांच साल पहले सीमा पर हुई झड़प के बाद, दोनों देश आर्थिक अवसरों और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बदलते व्यापारिक परिदृश्य के कारण करीब आए हैं। फिर भी, भारत अपनी सीमाओं पर सैन्य और रसद क्षमता को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।
सड़क और हवाई ढांचे का विस्तार
पिछले एक दशक में भारत ने 9,984 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण 1.07 लाख करोड़ रुपये की लागत से किया है, जबकि 5,055 किलोमीटर सड़कें निर्माणाधीन हैं। इन परियोजनाओं ने नागरिकों की आवाजाही आसान की है और सैन्य आपात स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया संभव बनाई है।
इसके अलावा, भारत ने 1962 के बाद से निष्क्रिय पड़ी एडवांस लैंडिंग ग्राउंड्स को भी दोबारा सक्रिय किया है ताकि हेलीकॉप्टर और सैन्य विमानों की आवाजाही संभव हो सके।
लद्दाख और डोकलाम पर भी नजर
सूत्रों के मुताबिक, सरकार लद्दाख क्षेत्र में भी नई रेल लाइनों की संभावना पर अध्ययन कर रही है। फिलहाल रेल नेटवर्क कश्मीर घाटी के बारामुला तक पहुंचा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान सीमा के पास 1,450 किलोमीटर नई सड़कों और डोकलाम क्षेत्र में अपग्रेडेड इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर दिया है। इसी साल उन्होंने कश्मीर घाटी को देश के बाकी हिस्से से जोड़ने वाले दुनिया के सबसे ऊंचे रेल पुल का उद्घाटन भी किया।
पूर्वोत्तर में पहले से बने 1700 किमी रेलमार्ग
पिछले दस वर्षों में भारत ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में 1700 किलोमीटर रेलमार्ग पहले ही बना लिया है। नई परियोजना इसी क्रम को आगे बढ़ाती है और इसका मकसद सैनिकों की तैनाती में लगने वाले समय को घटाना तथा रसद क्षमता को बढ़ाना है। उधर चीन ने भी 2017 में डोकलाम विवाद के बाद अपनी सीमा पर तेजी से ढांचा खड़ा किया है। उसने हवाई अड्डे और हेलीपोर्ट जैसे दोहरे उपयोग वाले ढांचे विकसित किए हैं, जिससे उसकी सेना को उपकरण और सैनिकों की तेज आवाजाही में मदद मिल रही है।
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