
इंदौर, प्रदीप मिश्रा। शहर के निजी अस्पतालों में जहां किडनी, लिवर प्लांटेशन के जरिए जरूरतमंद मरीजों को नया जीवन मिल रहा है , वहीं कॉर्निया ट्रांसप्लांट के जरिए एमवाय हॉस्पिटल में हर साल जरूरतमंद दृष्टिहीन गरीब मरीजों की आंखों को रोशनी मिल रही है। नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टर्स की टीम ने नि:शुल्क कॉर्निया ट्रांसप्लांटेशन कर इस साल सिर्फ 8 माह में लगभग 35 दृष्टिहीन मरीजों की जिंदगी में उजाला भर दिया है।
इंदौर में स्कूल बस दुर्घटना में मारे गए स्कूली बच्चे और मार्च में हुए बावड़ी हादसे में मारे गए लोग भले इस दुनिया में नहीं हंैं, मगर उनकी आंखों के जरिए कई जरूरतमंद लोग आज दुनिया देख पा रहे हंै। यह संभव हो रहा है समाज में मरणोपरांत नेत्रदान करने की बढ़ती जागरूकता के चलते। सामाजिक संस्था मुस्कान और महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज की ऑर्गन डोनेशन सोसायटी की काउंसलिंग के कारण इंदौर में न सिर्फ मरणोपरांत नेत्रदान करने के लिए जागरूकता बढ़ रही है, बल्कि नेत्रदान के संकल्प की सोच में बढोतरी हुई है।
मिल सकती है रोशनी
एमजीएम मेडिकल कॉलेज की प्रोफेसर डॉ. प्रीति रावत ने बताया कि हर साल वेटिंग लिस्ट के हिसाब दृष्टिहीन मरीजों में नेत्रदान में मिले कॉर्निया का मुफ्त ट्रांसप्लांट किया जाता है। मरणोपरांत किए गए नेत्रदान में मिली आंख के स्वस्थ कॉर्निया से 4 से 5 दृष्टिहीनों की आंखों को रोशनी मिल सकती है। नेत्रदान में निकाले गए कॉर्निया को मेडिकल कॉलेज की आई बैंक में सुरक्षित रखा जाता है। मरीज को 4-5 दिन के लिए निगरानी में रखकर उसे घर भेज दिया जाता है।
तीन साल में 53 दृष्टिहीन गरीबों को मिली रोशनी
डॉ. रावत के अनुसार एमवाय हॉस्पिटल में 2021 में 8, 2022 में 10 और अभी इस साल अगस्त तक 35 जरूरतमंद मरीजों की आंखों में मुफ्त में कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया जा चुका है। अभी वेटिंग लिस्ट में एक भी नाम बाकी नहीं है।
निजी हॉस्पिटल में एमवाय से ज्यादा
एमवाय हॉस्पिटल में जहां 3 साल में 53 कॉर्निया ट्रांसप्लांट किए गए, वहीं शहर के निजी अस्पतालों में हर साल सैकड़ों कॉर्निया ट्रांसप्लांट किए जाते हैं। कांची कामा कोटि मेडिकल ट्रस्ट द्वारा संचालित शंकरा आई सेंटर में 2021 से अभी तक लगभग 180 जरूरतमंदों को कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया जा चुका है। यहां से अन्य निजी अस्पतालों को लगभग 500 कॉर्निया ट्रांसप्लांट के लिए दिए हैं।
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