
डेस्क: भारत ने इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान में किए गए सैन्य अभियान ऑपरेशन सिंदूर में पहली बार रेड टीमिंग की रणनीति अपनाई गई. रेड टीमिंग का मतलब है एक खास टीम बनाना जो दुश्मन की तरह सोचकर हमारी योजना की जांच करती है. यह टीम यह देखती है कि अगर हम ऐसा करेंगे, तो दुश्मन क्या प्रतिक्रिया देगा. इससे ऑपरेशन की तैयारी और मजबूत हो जाती है.
सेना के सूत्रों के मुताबिक, इस बार ऑपरेशन की योजना बनाते समय पांच सीनियर अधिकारियों की एक रेड टीम बनाई गई थी. ये अधिकारी देश के अलग-अलग हिस्सों से लिए गए थे. रेड टीमिंग की यह तकनीक अमेरिका और दूसरी सेनाएं पहले से इस्तेमाल करती रही हैं. लेकिन, भारत में इसे अब पहली बार असली ऑपरेशन में आजमाया गया है.
भारतीय सेना ने इस तकनीक को विदुर वक्ता नाम दिया है, जो महाभारत के विदुर से प्रेरित है. विदुर जैसे बुद्धिमान सलाहकार की तरह, ये टीम ऑपरेशन की हर रणनीति को चुनौती देती है और संभावित खतरे के बारे में बताती है.
सेना ने पिछले साल अक्टूबर में हुई आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस के बाद इस दिशा में कदम बढ़ाया था. अब 15 अधिकारियों को रेड टीमिंग को खास प्रशिक्षण दिया गया है और अगले दो साल में इसे और मजबूत करने की योजना है. इसके अलावा, सेना पहले से ही REDFOR नाम की एक यूनिट चला रही है, जो दुश्मन की रणनीति का अभ्यास के दौरान अनुकरण करती है, लेकिन रेड टीमिंग REDFOR से अलग है, ये अपनी ही योजना को दुश्मन की नजर से परखती है. सेना का मानना है कि इससे भविष्य के ऑपरेशन और भी सटीक और असरदार होंगे.
सेना के पास शिमला में मुख्यालय वाले प्रशिक्षण कमांड (ARTRAC) के भीतर पहले से ही एक REDFOR (लाल सेना) इकाई है, जो युद्ध की योजनाओं और सिमुलेशन की जांच करने के लिए जिम्मेदार है. आमतौर पर कागज पर या रेत मॉडल का उपयोग करके आयोजित की जाती है. इसको उन मापदंडों और संदर्भ की शर्तों को निर्धारित करने के लिए जिनके भीतर इन अभ्यासों की योजना बनाई और निष्पादित की जानी है.
हालांकि, अधिकारियों ने बताया कि जबकि REDFOR प्रतिकूल रणनीति का अनुकरण करता है और प्रशिक्षण के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक उपकरण है, रेड टीम अपनी योजनाओं और विरोधी पर उनके प्रभाव और हर कदम पर विरोधी की अनुमानित प्रतिक्रिया का सटीक तरीके से अध्ययन करती है.
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