आम कहावत है- जो जीता वही सिकंदर। नब्बे के दशक की चर्चित हिंदी फिल्म भी है- जो जीता वही सिकंदर। यह वही फिल्म है जिसने कोरियोग्राफर फराह खान की जिंदगी बदल दी। फराह शनिवार को 56 साल की हो जाएंगी। सफलता का आसमान चूम रहीं फराह इस फिल्म को कभी नहीं भूल सकतीं। दरअसल हुआ यह कि साल 1992 में रिलीज हुई जो जीता वही सिकंदर की कोरियोग्राफर सरोज खान के ‘न’ करने पर फराह की लाटरी लग गई। इस फिल्म की सफलता के बाद फराह का सितारा चमका। इस फिल्म ने दो फिल्म फेयर पुरस्कार जीते। इसका गीत ‘पहला नशा…’ आज भी युवाओं की जुबां पर होता है।
9 जनवरी 1965 को मुंबई में जन्मी फराह के खानदान के लगभग सदस्यों का कोई न कोई रिश्ता फिल्मी दुनिया से है। वह स्नातक हैं। माइकल जैक्सन की जबरदस्त फैन हैं। वह अब तक करीब 150 से ज्यादा गानों में कोरियोग्राफ कर चुकी हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक डांस ग्रुप की थी। 2004 में उन्होंने शिरीष कुंदूर से शादी की। उनके तीन बच्चे हैं। कुंदूर भी फिल्मों से जुड़े हैं। फराह के हिस्से में आई कामयाब फिल्मों में कभी हां कभी ना, मॉनसून वेडिंग, बॉम्बे ड्रीम्स, वैनिटी फेयर आदि हैं। फराह खान को पांच बार फिल्म फेयर अवॉर्ड मिल चुका है। फराह खान की बतौर डायरेक्टर पहली फिल्म ‘मैं हूं ना’ है।
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