
भोपाल। आज प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष आदरणीय जीतू पटवारी जी ने वह किया जिसकी हिम्मत शायद आज तक किसी नेता में नहीं थी — अपने कंधे पर 50 किलो अनाज की बोरी उठाकर, 2 किलोमीटर पैदल चलकर सरकारी मशनरी से लड़कर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के दरवाज़े तक पहुँचे। लेकिन यह यात्रा सिर्फ़ 2 किलोमीटर की नहीं थी — यह यात्रा थी मध्य प्रदेश के हर उस किसान की वेदना की, जो पिछले 20 वर्षों से भाजपा सरकार की किसान-विरोधी नीतियों की मार झेल रहा है।
कंधे पर अनाज और दिल में किसान का दर्द लेकर जीतू पटवारी जी ने यह संदेश दिया —“हमें भावांतर नहीं, हमें भाव चाहिए — मेहनत की सच्ची कीमत चाहिए। ”जब सत्ता किसानों की आवाज़ दबाने में लगी थी, जीतू पटवारी ने किसानों की पुकार को सत्ता के दरवाज़े तक पहुँचा दिया।उनका यही संघर्षशील व्यक्तित्व और नेतृत्व कांग्रेस के असंख्य कार्यकर्ताओं में सकारात्मक ऊर्जा और संघर्ष करने की प्रेरणा देता है।
उनका यह कदम किसान, खेत और खाद्य सुरक्षा के भविष्य के लिए है — न कि किसी राजनीतिक लाभ के लिए।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के बयान पर कांग्रेस का पलटवार
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल का यह कहना कि कांग्रेस दिखावे की राजनीति कर रही है, किसानों के घावों पर नमक छिड़कने जैसा है।
सच्चाई यह है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी जी ने बीते एक वर्ष में हर मंगलवार केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलने का समय मांगा, ताकि मध्य प्रदेश के किसानों की समस्याओं से उन्हें अवगत कराया जा सके। लेकिन न तो कृषि मंत्री ने मिलने का समय दिया, न प्रदेश सरकार ने किसानों की सुध ली।
यह खुद साबित करता है कि भाजपा की सरकार किसानों के प्रति असंवेदनशील और उदासीन है। कांग्रेस नेताओं का दरवाज़े तक पहुँचना मजबूरी नहीं — किसानों की आवाज़ बुलंद करने की ज़िम्मेदारी है।यदि भाजपा सरकार में ज़रा भी संवेदना होती, तो आज किसानों को अपने दर्द को लेकर सड़क पर उतरना नहीं पड़ता।
भाजपा की किसान-विरोधी नीतियों का परिणाम भाजपा की नीतियों ने किसानों को कर्ज, संकट और आत्महत्या की कगार पर ला दिया। भावांतर योजना ने जेब खाली की, समर्थन मूल्य छलावा बन गया।फसल बीमा योजना बीमा कंपनियों के मुनाफे में तब्दील हो गई। यूरिया, डीएपी और बीज की कमी से फसलें बर्बाद हो रही हैं। बिजली बिलों की मार और अघोषित कटौती ने सिंचाई चौपट कर दी।
मुआवज़ा सिर्फ़ दिखावा बन गया — खेत डूबे, फसलें जलीं, सरकार सोई रही। मंडियों में भ्रष्टाचार और लूट खुलेआम जारी है। मुख्यमंत्री के गृह ज़िले में किसानों की मौतें हुईं, और सरकार मौन रही।
क्या यही “डबल इंजन” की संवेदना है?
भाजपा नेताओं की संवेदनहीनता
आज भाजपा नेता और उनकी आईटी ट्रोल आर्मी जीतू पटवारी जी का मज़ाक उड़ा रही है, पर असल में वे हर उस किसान का मज़ाक उड़ा रहे हैं, जो दिन-रात खेतों में पसीना बहाकर इस देश का पेट भरता है। शर्म करो भाजपा सरकार — किसानों की पीड़ा पर हँसने से पहले, उनके खेतों में जाकर उनकी हालत देखो।
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