
डेस्क। अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद (International Terrorism) की फंडिंग (Funding) पर नजर रखने वाली संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की जुलाई 2025 की हालिया रिपोर्ट ने पाकिस्तान (Pakistan) के राज्य प्रायोजित (State Sponsored) आतंकवाद की कलई खोल दी है। एफएटीएफ की इस रिपोर्ट से भारत (India) का वह दावा और अधिक मजबूत हुआ है, जिसमें वह पाकिस्तान में सरकार (Goverment) और सेना (Army) द्वारा आतंकियों को पोषित करने का आरोप लगाता रहा है। एफएटीएफ ने राज्य प्रायोजित आतंकवाद को पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देते हुए पाकिस्तान पर सख्त दृष्टि रखी है। एफएटीएफ ने रिपोर्ट के आधार पर पाकिस्तान की निगरानी बढ़ाने को कहा है।
इस रिपोर्ट में पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी समूहों के वित्तपोषण, नकली NGO के उपयोग, और प्रतिबंधों की चपत का विस्तार से विश्लेषण किया गया है। इसके साथ ही पाकिस्तान द्वारा राज्य प्रायोजित आतंकवाद की पुष्टि भी हुई है। रिपोर्ट ने इस तथ्य को पुर्नस्थापित किया है कि कुछ आतंकवादी संगठन आज भी कई राज्यों, विशिष्ट रूप से पाकिस्तान से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष समर्थन प्राप्त कर रहे हैं। इसमें वित्तीय सहायता से लेकर लॉजिस्टिक, सामग्री एवं प्रशिक्षण, प्रतिबंधों से बचने के लिए व्यापार-आधारित धनशोधन और शासन-चालित या दृष्टिगोचर सहयोग के रूप में सुविधाएं शामिल हैं।
FATF ने चेतावनी देते हुए कहा है कि “कोई भी राज्य अगर आतंकी समूहों को धन या संसाधन उपलब्ध कराता है, तो यह उसके मानकों और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का उल्लंघन है”। इस रिपोर्ट में पाकिस्तान विशेष रूप से उल्लेखित है क्योंकि यह राज्य प्रायोजित आतंकी समूहों, जैसे लश्कर-ए-तैय्यबा और जैश-ए-मोहम्मद को धन उपलब्ध कराने का केंद्र बन गया है।
इस रिपोर्ट में एफएटीएफ ने भारत के उसी दावे को एक तरह से दोहराया है, जिसमें वह पाकिस्तान पर राज्य प्रयोजित आतंकवाद का आरोप लगाता रहा है और लश्कर व जैश जैसे आतंकी संगठनों को वित्तपोषण व सैन्य प्रशिक्षण देने का दावा करता रहा है। FATF की अपने देश के जोखिम मूल्यांकन (ML/TF Risk Assessment 2022) में भारत ने साफ तौर पर पाकिस्तान से प्रायोजित आतंकवाद की पहचान की थी। और FATF ने इसे वैश्विक स्तर पर दोहराया है, इससे भारत के दावों पर मुहर लग रही है।
एफएटीएफ की रिपोर्ट बताती है कि भारत-पाक सीमा से जुड़े समूहों के लिए नकली गैर-लाभकारी संगठनों का उपयोग कैसे हो रहा है। अल-रशीद ट्रस्ट और अल-फुर्कान फाउंडेशन जैसे समूह, परोपकारी प्रॉक्सी रूपों में सक्रिय रहे और आतंकवादी गतिविधियों को छिपाकर आर्थिक सहयोग मुहैया कराया गया । वहीं JeM और LeT ने पूर्वी एशियाई देशों में नकली NPOs की स्थापना करके, मानवीय सहायता दान कार्यक्रमों का दुरुपयोग किया और धन को आतंकवाद संचालन में मोड़ा।
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