
इंदौर। नगर निगम द्वारा अब अवैध रूप से पेड़ काटने वालों के खिलाफ 50 हजार रुपए तक का जुर्माना किया जाएगा और साथ ही ही मेट्रो, पीडब्ल्यूडी और कई अन्य विभागों के साथ-साथ लोगों द्वारा पेड़ शिफ्टिंग के आवेदन दिए जाते हैं तो उन पर 18 हजार से लेकर 25 हजार रुपए तक शुल्क लिया जाएगा। नई दरें इसलिए बढ़ाई गई हैं, क्योंकि पेड़ शिफ्टिंग में बड़ी हाइड्रोलिक गाडिय़ां, डम्पर और तमाम संसाधन लगते हैं। इसके बाद कई दिनों तक पेड़ की देखरेख भी करना पड़ती है। नया प्रस्ताव एमआईसी में मंजूरी के लिए आने वाले दिनों में रखा जाएगा।
नगर निगम द्वारा अब तक विभिन्न स्थानों पर नई सडक़ों के निर्माण कार्यों के दौरान पेड़ों की कटाई-छंटाई से लेकर शिफ्टिंग के कार्य के लिए वन विभाग से अनुमति ली जा रही है, क्योंकि इसके लिए नए मापदंड निर्धारित किए गए थे। इसके साथ ही शहरभर में जिन स्थानों पर निगम की सडक़े ंनहीं बन रही हैं और वहां पेड़ों की कटाई-छंटाई से लेकर पेड़ों की शिफ्टिंग के मामलों की अनुमतियां निगम उद्यान विभाग द्वारा ही जारी की जाएंगी। उद्यान विभाग के प्रभारी राजेंद्र राठौर के मुताबिक इसको लेकर कुछ असमंजस की स्थिति पूर्व में थी, लेकिन यह तय है कि पेड़ों की कटाई-छंटाई से लेकर शिफ्टिंग के कार्य की अनुमति निगम द्वारा ही दी जाएगी। इसको लेकर अब निगम द्वारा पेड़ों की कटाई-छंटाई से लेकर पेड़ शिफ्टिंग के मामले को लेकर नई दरें भी निर्धारित कर दी गई हैं। पहले नगर निगम में 13 हजार रुपए पेड़ों की कटाई-छंटाई के लिए राशि का भुगतान करना होता था, लेकिन अब यह राशि 18 हजार रुपए कर दी गई है और इसके साथ ही पेड़ों की शिफ्टिंग के मामले में भी 18 हजार रुपए से लेकर 25 हजार रुपए तक की राशि निगम द्वारा ली जाएगी और इसमें सबसे खास बात यह रहेगी कि पेड़ों की ऊंचाई के मान से दरें निर्धारित करेंगे। नगर निगम ने यह प्रस्ताव तैयार कर लिया है और अब एमआईसी में मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। वहीं दूसरी ओर अवैध रूप से पेड़ों की कटाई करने वालों के खिलाफ निगम टीमों द्वारा 15 से लेकर 20 हजार रुपए तक की राशि का जुर्माना लगाया जाता था, लेकिन अब यह राशि बढ़ाकर 50 हजार कर दी गई है।
शुल्क बढ़ाने के पीछे अलग-अलग कारण
नगर निगम ने बड़े और छोटे पेड़ ट्रांसप्लांट को लेकर राशि बढ़ाई है। इसके पीछे यह कारण बताया जा रहा है कि इसमें 8 से 10 कर्मचारियों की तैनाती होती है और जेसीबी के साथ-साथ डम्पर और हाइड्रा मशीनें लगाई जाती हैं, ताकि वजनी पेड़ों को उठाकर ट्रालों पर रखा जा सके। इसमें कई संसाधनों के लिए निगम को राशि खर्च करना पड़ती है, वहीं ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ों की देखभाल के साथ-साथ जरूरी दवाइयां और सुपरविजन कई दिनों तक करना होता है।
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