
इंदौर। मध्यप्रदेश इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड यानी एमपीआईडीसी ने अंतत: इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर की योजना को अंतिम रूप से घोषित करते हुए उसमें शामिल 17 गांवों की लगभग 3200 एकड़ जमीनों के खसरा नम्बरों का भी प्रकाशन कर दिया है और 90 दिन की समयसीमा उसके अवलोकन की रखी है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने 60 फीसदी जमीन वापस देने की पॉलिसी भी इस कॉरिडोर के लिए तय की, तो उसके साथ ही नकद मुआवजे का विकल्प भी किसानों को दिया गया है। अभी लगातार किसानों से सहमति भी ली जा रही है और 300 बीघा से ज्यादा की सहमति हो भी चुकी है। अब एमपीआईडीसी के सीईओ के मुताबिक रोजाना किसान आ भी रहे हैं।
इस कॉरिडोर क ा निर्माण औद्योगिक क्षेत्र इकोनॉमिक कॉरिडोर के साथ-साथ इंदौर के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिससे मात्र 20 मिनट में एयरपोर्ट से पीथमपुर पहुंचा जा सकेगा और कॉरिडोर के दोनों तरफ आवासीय-औद्योगिक गतिविधियां भी विकसित होंगी। 20 किलोमीटर लम्बे और 75 मीटर चौड़े इस कॉरिडोर के दोनों तरफ 300-300 मीटर में शामिल सरकारी और निजी जमीनों को शामिल किया गया है। 17 गांवों की जमीनों के खसरा नम्बरों का प्रकाशन भी एमपीआईडीसी ने कर दिया है, जिसमें ग्राम कोर्डियाबर्डी, नैनोद, रिंजलाय, बिसनावदा, नावदापंथ, श्रीराम तलावली, सिंदौड़ा, सिंदौड़ी, शिवखेड़ा, नरलाय, मोकलाय, डेहरी, सोनवाय, भैंसलाय, बागोदा, टीही और धन्नड़ गांव शामिल हैं।
ढाई हजार करोड़ रुपए से अधिक इस प्रोजेक्ट पर खर्च होना है और लगभग 3400 एकड़ जमीन इस कॉरिडोर में शामिल है। पिछले दिनों जमीन मालिकों के दावे-आपत्तियों को भी आमंत्रित किया गया था और 700 से अधिक आपत्तियों की सुनवाई भी की गई। लैंड पुलिंग एक्ट के तहत अभी 50 फीसदी जमीन उनके मालिकों को वापस लौटाने का प्रावधान है। मगर इस इकोनॉमिक कॉरिडोर के लिए 60 फीसदी जमीन वापस करने का प्रावधान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने करवाया है, जिसमें अगर विकसित भूखंड की बात करें तो लगभग 36 फीसदी हिस्सा प्राप्त होता है। एमपीआईडीसी के सीईओ हिमांशी प्रजापति का कहना है कि नकद मुआवजे का भी प्रावधान है और अभी तो गाइडलाइन बढ़ भी गई, जिसके आधार पर दो गुना नकद मुआवजा दिया जाएगा। लगातार किसान सहमति के लिए आ भी रहे हैं।
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