
नई दिल्ली । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (non-banking finance companies) से ग्राहकों को कर्ज (Loan) देने के लिए आक्रामक रूख नहीं अपनाने और ब्याज को वाजिब स्तर पर रखने का आग्रह किया। उन्होंने इसके साथ ही वित्तीय शोषण नहीं करने की अपील की। वित्त मंत्री ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) से भारतीय रिजर्व बैंक के ऋण वसूली मानदंडों का कड़ाई से पालन करने का भी आग्रह किया।
क्या कहा वित्त मंत्री ने?
निर्मला सीतारमण ने कहा- वित्तीय समावेश के नाम पर वित्तीय शोषण नहीं किया जा सकता। कर्ज ग्राहकों की वास्तविक जरूरतों और उसे लौटाने की क्षमता पर आधारित होना चाहिए। वित्त मंत्री ने कहा कि कर्ज देने के लिए आक्रामक तरीके से विपणन नहीं किया जाना चाहिए या उन्हें व्यक्तियों पर थोपा नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वसूली प्रक्रिया निष्पक्ष, सहानुभूतिपूर्ण और सम्मानजनक तरीके से होनी चाहिए और इसे आरबीआई के नियमों के अनुरूप होना चाहिए। उन्होंने एनबीएफसी से कहा कि कर्ज वसूली आपके कामकाज का हिस्सा है, लेकिन संवेदनहीन होना आपके काम का हिस्सा नहीं है। बता दें कि देश में एनबीएफसी की संख्या लगभग 9,000 है।
रिस्क मैनेजमेंट पर ध्यान बढ़ाने की जरूरत
वित्त मंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे एनबीएफसी मॉडल परिपक्व होता है, रिस्क मैनेजमेंट पर ध्यान बढ़ाना चाहिए। सीतारमण ने एनबीएफसी से कहा कि रिस्क उठाना सुनियोजित और आंकड़ों पर आधारित होना चाहिए और संबंधित संस्था की जोखिम सहने की क्षमता से अधिक कभी नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि नकदी और ऋण जोखिमों का कड़ाई से मूल्यांकन और प्रबंधन किया जाना चाहिए। मजबूत आंतरिक नियंत्रण व्यवस्था से परिसंपत्ति-देनदारी के बीच अंतर, वित्तपोषण स्रोतों की प्रकृति और अवधि की निगरानी सुनिश्चित होनी चाहिए।
एनबीएफसी अब शैडो बैंक नहीं
निर्मला सीतारमण ने कहा कि वर्तमान में कॉमर्शियल बैंकों द्वारा वितरित लोन की कुल मात्रा में उनकी हिस्सेदारी लगभग 24 प्रतिशत है और लक्ष्य 50 प्रतिशत तक पहुंचने का होना चाहिए। सीतारमण ने कहा कि एनबीएफसी अब ‘शैडो बैंक’ नहीं हैं। उनका मजबूत विनियमन और निगरानी वित्तीय प्रणाली और अर्थव्यवस्था में उनके महत्व का सबसे अच्छा प्रमाण है। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की भी जिम्मेदारी संभाल रही सीतारमण ने कहा कि जैसे-जैसे भारत आगे बढ़ेगा, भविष्य की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने में एनबीएफसी की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
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