
नई दिल्ली। मंजूरी में नियामकों की देरी से अनिश्चितता पैदा होने के साथ अमेरिका और यूरोप सहित विभिन्न देशों के साथ चल रहे भारत के मुक्त व्यापार सौदों पर भी असर पड़ सकता है। ऐसे में विनियमन और स्वतंत्रता के बीच सही संतुलन होना जरूरी है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के 16वें वार्षिक समारोह में कहा, निवेशकों की नजर नियामकों की क्षमता और तत्परता पर होती है। जब आप उचित समय में कुछ मुक्त व्यापार समझौतों पर सहमति बनाने की बात करते हैं, तो इसका बहुत गंभीर अर्थ होता है। इसलिए, चाहे वह मुकदमेबाजी हो या इसमें लगने वाला समय हो या जब नियामक कम पारदर्शी हों, तो बातचीत जटिल हो सकती है।
वित्त मंत्री ने कहा, नियामक ढांचे में कठोर निगरानी बनाए रखने के साथ ऐसे संयोजनों के लिए तुरंत और निर्बाध मंजूरी की सुविधा भी दी जाए, जिससे प्रतिस्पर्धा को नुकसान न पहुंचे। उन्होंने कहा, न सिर्फ व्यावसायिक आचरण बल्कि सरकारी नीतियों, कानूनों और विनियमों को भी प्रतिस्पर्धा को प्रभावित नहीं करना चाहिए।
सीतारमण ने कहा, भारत जैसे देश के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष बाजार सुनिश्चित करना महज आर्थिक ही नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक जरूरत भी है। किसी भी चीज की कीमतें चैरिटी के कारण नहीं गिरतीं, बल्कि इसलिए गिरती हैं क्योंकि कोई और उसी उत्पाद को कम दाम पर बेचने को तैयार है। गुणवत्ता में सुधार नैतिकता के कारण नहीं होता, बल्कि इसलिए होता है क्योंकि बाजार की ताकतें औसत दर्जे को दंडित करती हैं।
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