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वित्त मंत्री सीतारमण 1 फरवरी को पेश करेंगी अपना 8वां का बजट, जानें बजट भाषण से पहले खास 10 बातें

January 18, 2025

नई दिल्ली। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी 2025 को सुबह 11 बजे संसद में केंद्रीय बजट 2025 (Union Budget 2025) पेश करेंगी। यह मोदी सरकार (Modi Government) के तीसरे कार्यकाल (मोदी 3.0) का दूसरा पूर्ण बजट होगा। साथ ही, यह वित्तमंत्री सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) का आठवां बजट भाषण होगा। इनमें 6 वार्षिक और 2 अंतरिम बजट शामिल हैं।


बजट 2025 को बेहतर तरीके से समझने के लिए इन महत्वपूर्ण शब्दों के अर्थ जानें
1. बजट अनुमान (Budget Estimate): यह विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और योजनाओं को आवंटित धनराशि का अनुमान प्रस्तुत करता है। इसमें यह भी बताया जाता है कि धन का उपयोग कहां और कैसे होगा।

2. वार्षिक वित्तीय विवरण (Annual Financial Statement): यह दस्तावेज़ सरकार की आय और व्यय का लेखा-जोखा पेश करता है। यह बजट का मुख्य हिस्सा है।

3. प्रत्यक्ष कर (Direct Taxes): वे कर, जो सीधे करदाताओं से वसूले जाते हैं, जैसे आयकर और कॉर्पोरेट कर।

4. आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey): बजट से पहले प्रस्तुत किया जाने वाला यह दस्तावेज़ पिछले वर्ष की आर्थिक स्थिति का विश्लेषण और आगामी वर्ष के लिए सुझाव देता है।

5. वित्त विधेयक (Finance Bill): यह विधेयक बजट में प्रस्तावित नए करों, कर ढांचे में बदलाव या मौजूदा कर नीति को जारी रखने का कानूनी आधार है।

6. राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit): यह सरकार के कुल व्यय और उसकी आय के बीच का अंतर है। इसे सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के प्रतिशत के रूप में मापा जाता है।

7. अप्रत्यक्ष कर (Indirect Taxes): ये वे कर हैं, जो उपभोक्ताओं से वस्तुओं और सेवाओं के उपभोग पर वसूले जाते हैं, जैसे जीएसटी, कस्टम ड्यूटी, आदि।

8. मुद्रास्फीति (Inflation): यह वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में वृद्धि को दर्शाता है, जो क्रय शक्ति को प्रभावित करता है।

9. नई कर व्यवस्था (New Tax Regime): 2022 में शुरू की गई यह व्यवस्था 7 टैक्स स्लैब के साथ आती है। यह अब डिफ़ॉल्ट व्यवस्था बन चुकी है।

10. पुरानी कर व्यवस्था (Old Tax Regime): यह कर व्यवस्था 4 टैक्स स्लैब के साथ आती थी और 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30% का उच्चतम टैक्स दर लागू था।

केंद्रीय बजट 2205 में संभावित घोषणाएं
– भारत सरकार 1 फरवरी 2025 को केंद्रीय बजट प्रस्तुत करने जा रही है, जिसमें आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने और रोजगार सृजन पर विशेष ध्यान देने की संभावना है।
– आयकर में राहत: वेतनभोगी वर्ग की मांग को ध्यान में रखते हुए, आयकर दरों में कटौती की जा सकती है, जिससे उपभोक्ता खर्च में वृद्धि होगी।
– इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को प्रोत्साहन: इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माताओं के लिए प्रोत्साहन योजनाएं लाई जा सकती हैं, जिससे घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
– ईंधन करों में कटौती: उद्योग जगत ने पेट्रोल और डीजल पर करों में कमी की मांग की है, जिससे महंगाई पर नियंत्रण पाया जा सके।
– बुनियादी ढांचे में निवेश: अगले वित्तीय वर्ष में बुनियादी ढांचे पर खर्च में 25% की वृद्धि का प्रस्ताव है, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
– निर्यात को बढ़ावा: निर्यात को प्रोत्साहित करने और घरेलू शिपिंग उद्योग में निवेश के लिए नई योजनाएं आ सकती हैं।
– कृषि क्षेत्र में समर्थन: किसानों को नकद सहायता बढ़ाने और ग्रामीण विकास योजनाओं के लिए अतिरिक्त वित्तीय प्रावधान किए जा सकते हैं।

भारतीय केंद्रीय बजट को कैसे समझें?
भारतीय केंद्रीय बजट को समझने के लिए कुछ मुख्य चरण और महत्वपूर्ण तत्वों पर ध्यान देना आवश्यक है। यह सरकार की एक वित्तीय योजना होती है, जिसमें अगले वित्तीय वर्ष के लिए आय और व्यय का विवरण होता है। इसे समझने के लिए निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान दें:
1. बजट का मूल उद्देश्य समझें
राजस्व अर्जन: सरकार कैसे पैसा कमाएगी (जैसे, कर, शुल्क, कर्ज आदि)।
व्यय: पैसा कहाँ खर्च होगा (जैसे, शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा, कृषि, बुनियादी ढाँचा)।

2. बजट की संरचना
बजट दो मुख्य भागों में विभाजित होता है:
राजस्व खाता (Revenue Account):
राजस्व प्राप्तियाँ: जैसे कर राजस्व (इनकम टैक्स, जीएसटी) और गैर-कर राजस्व (डिविडेंड, शुल्क)।
राजस्व व्यय: सामान्य खर्च, जैसे पेंशन, वेतन, और सब्सिडी।
पूंजी खाता (Capital Account):
पूंजी प्राप्तियाँ: जैसे सरकारी कर्ज, विनिवेश।
पूंजी व्यय: जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण, परियोजनाओं में निवेश।

3. महत्वपूर्ण दस्तावेज़ पढ़ें
बजट कई दस्तावेजों में आता है। मुख्य हैं:
वित्त मंत्री का बजट भाषण: बजट की मुख्य बातें।
आर्थिक सर्वेक्षण: बजट से एक दिन पहले प्रस्तुत, इसमें अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति का विवरण होता है।
डिमांड फॉर ग्रांट्स: मंत्रालयों के लिए आवंटित धन।
फाइनेंस बिल: कर से संबंधित प्रस्ताव।

4. बजट के प्रमुख क्षेत्र
कर नीति:प्रत्यक्ष कर (इनकम टैक्स) और अप्रत्यक्ष कर (जीएसटी) में बदलाव।
वित्तीय घाटा: सरकार के खर्च और आय में अंतर।
महंगाई और विकास दर: बजट का प्रभाव इन पर कैसा होगा।
पब्लिक सेक्टर और निजी निवेश: नई योजनाएँ या प्रोत्साहन।

5. महत्वपूर्ण घोषणाएँ समझें
बजट में जिन क्षेत्रों के लिए नई योजनाएँ या फंड बढ़ाए गए हैं, उन पर ध्यान दें। उदाहरण:
करदाताओं के लिए रियायतें।
सब्सिडी योजनाओं में बदलाव।
नई परियोजनाएँ (जैसे सड़क, रेल, स्वास्थ्य)।,

6. सामान्य जनता के लिए प्रभाव
आपके वेतन, निवेश, और खर्च पर इसका प्रभाव।
रोजगार, महंगाई, और सेवाओं पर पड़ने वाले प्रभाव।

7. अखबार और विशेषज्ञों की मदद लें
बजट की जटिलताओं को समझने के लिए समाचार पत्रों और विश्लेषण पढ़ें। इसमें विशेषज्ञ बजट के अच्छे और कमजोर पहलुओं को सरल भाषा में समझाते हैं।

8. आंकड़ों को ध्यान से पढ़ें
GDP अनुपात: जैसे, शिक्षा पर खर्च का GDP का कितना हिस्सा है।
राजस्व घाटा और राजकोषीय घाटा: यह बताता है कि सरकार कितनी उधारी ले रही है।

9. दीर्घकालिक और तात्कालिक प्रभाव समझें
बजट से किस सेक्टर को तत्काल लाभ होगा।
लंबी अवधि में देश की आर्थिक स्थिति पर प्रभाव।

10. संसद में चर्चा और अनुमोदन
बजट संसद में पेश होने के बाद चर्चा और अनुमोदन के बाद लागू होता है। इसके दौरान भी नई जानकारी सामने आती है।

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