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केंद्र से नहीं मिली 29,846 करोड़ की वित्तीय सहायता

August 16, 2022

  • जनकल्याण, सामाजिक सुरक्षा पेंशन सहित कई योजनाओं की रफ्तार रूकी

भोपाल। वित्तीय वर्ष 2022-23 में केंद्र से मिलने वाली वित्तीय सहायता की राशि नहीं मिलने से जनकल्याण, सामाजिक सुरक्षा पेंशन सहित कई योजनाओं की रफ्तार रूकी हुई है। इस कारण लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं। दरअसल वर्तमान वित्तीय वर्ष में केंद्रीय सहायता अनुदान में 25 फीसदी ही फंड मिलने से मप्र को 75 फीसदी राशि का इंतजार है। इससे एसटी, एससी और ओबीसी के लाखों छात्रों की 1,688 करोड़ की छात्रवृत्ति बंट सकेगी। वहीं जनकल्याण और सामाजिक सुरक्षा पेंशन सहित कई योजनाओं के काम भी रफ्तार पकड़ेंगे। मनरेगा में भी मजदूरी बांटने की दिक्कत भी नहीं आएगी।
गौरतलब है कि केंद्र से वित्तीय वर्ष 2022-23 में 32,556 करोड़ रुपए मिलना है, जिसके एवज में चार माह के दौरान सिर्फ 2,710 करोड़ की सहायता मिल सकी है। प्रदेश में जनकल्याण से जुड़ी केंद्र और राज्य की करीब 300 योजनाओं का संचालन किया जाता है। इनमें से कई योजनाओं में केंद्र सरकार से 60 से लेकर 75 फीसदी तक सहायता अनुदान मिलता है। खासकर मनरेगा, एसटी, एससी तथा ओबीसी छात्रों के लिए छात्रवृत्ति, सामाजिक सुरक्षा पेंशन के तहत इंदिरा गांधी वृद्धावस्था, विधवा, नि:शक्तजन पेंशन, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना जैसी अनेक योजनाओं में फंड मिलता है, लेकिन इस वित्तीय वर्ष 2022-23 में केंद्रीय सहायता मिलता है। बकाया अनुदान में भारत सरकार से 32 हजार 556 करोड़ रुपए की राशि मामले में केंद्र मिलनी है, जिसमें से 31 जुलाई तक सिर्फ 2,710 करोड़ रुपए ही मिल सके। वैसे चार माह के हिसाब से मप्र को 10,852 करोड़ रुपए मिलने चाहिए थे।



अक्टूबर तक छात्रवृति बांटने का लक्ष्य
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 28 जुलाई को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछडा वर्ग की छात्रवृत्ति नहीं बांटे जाने के मामले की समीक्षा की थी। उन्होंने समीक्षा में निर्देश दिए थे कि सत्र 2022-23 की छात्रवृत्ति अक्टूबर माह तक बंट जानी चाहिए। इसकी राशि 1,688 करोड़ रुपए है। वहीं अनुसूचित जाति विद्यार्थी के 590 करोड़, अनुसूचित जनजाति विद्यार्थी के 348 करोड़, पिछड़ा अल्पसंख्यक विद्यार्थी के 750 करोड़ की राशि अटकी है। तीनों वर्गों के छात्रों की संख्या 25 लाख है जिनकी छात्रवृत्ति का इंतजार है। कुछ महत्वपूर्ण विभागों को केंद्र से फंड मिला है लेकिन वह भी आधा-अधूरा। ग्रामीण विकास विभाग को 11,973.00 करोड़ मिलना है, अभी तक 1,645.00 करोड़ मिले। वहीं जनजाति कल्याण विभाग को 1,085.00 करोड़ में से 211.18 करोड़, न्यायालय भवन विभाग को 163.00 करोड़ में से 34.00 करोड़, सड़कें और पुल विभाग को 830.00 करोड़ में से 13.73 करोड़, नगरीय प्रशासन विभाग को 1879.60 करोड़ में से 472.97 करोड़, स्वास्थ्य सुविधाएं विभाग को 3,299.96 करोड़ में से 335.95 करोड़ है। वहीं वित्त एवं वाणिज्यिक कर मंत्री जगदीश देवड़ा को कहना है कि भारत सरकार से समय-समय पर विभिन्न योजनाओं में पैसा राज्य सरकार को फंड नहीं मिलने के सरकार से चर्चा करेंगे। वैसे केंद्र से फंड नहीं मिलने की वजह से कोई काम नहीं रुक रहा है।

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