
ग्वालियर। ग्वालियर (Gwalior) जिले में लाल टिपारा (Red Tipra) के पास प्रदेश की सबसे बड़ी आदर्श गौशाला (Adarsh Gaushala) में गुरुवार को हादसा हो गया। यहां शॉर्ट सर्किट के चलते आग लग गई। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं होने के चलते आग भीषण हो गई। सूचना मिलते शहर से दूर होने पर फायर ब्रिगेड 25 मिनट में पहुंची और 30 मिनट में आग पर काबू पाया। यह आग गौशाला परिसर में स्थित वैदिक डेस्टिनेशन क्षेत्र में लगी थी, जहां घास के सोफे, झोपड़ियां आदि जलकर पूरी तरह राख हो गए।
गनीमत रही की आग गौशाला में स्थित सीएनजी प्लांट तक नहीं पहुंची। नहीं तो बड़ा हादसा हो सकता था। इस गौशाला का संचालन कुछ वर्ष पहले संतों को सौंपा गया था। तब से यह देश की सबसे आदर्श गौशाला बन गई है। यह गौशाला देश की पहली आधुनिक और आत्मनिर्भर गौशाला है।
आदर्श गौशाला लाल टिपारा ग्वालियर के संयोजक स्वामी ऋषभ देवानंद ने कहा कि ग्वालियर की लाल टिपारा गौशाला में भड़की आग पर काबू पा लिया गया है। इस गौशाला का संचालन नगर निगम द्वारा साधू संतों के माध्यम से किया जाता है। तत्काल आग पर काबू पा लिए जाने से बड़ी घटना टल गई।
नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि ग्वालियर के लाल टिपारा गौशाला में स्थानीय नगर निगम के सहयोग से दस हजार गायों की देखभाल की जा रही है। यहां गोबर से गैस बनाने वाला राज्य का अपने तरह का यह पहला संयंत्र स्थापित किया गया है। वैसे तो इंदौर में पहले से बायो सीएनजी प्लांट है, लेकिन वहां इसके लिए गीले कचरे का उपयोग किया जाता है।
जबकि, यहां सिर्फ गोबर का उपयोग होगा, वह भी सिर्फ गौवंश के गोबर का। अधिकारियों का कहना है कि इस समय बायो सीएनजी की मांग सामान्य सीएनजी से ज्यादा है। क्योंकि बायो सीएनजी में 95 फीसदी मीथेन होता है, जबकि सामान्य सीएनजी में 90 फीसदी होता है। यही वजह है कि बायो सीएनजी से मिलने वाले वाहनों का माइलेज ज्यादा निकलता है।
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