
नई दिल्ली। चार दिनों तक चले ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor.) के बाद भारत और पाकिस्तान (India and Pakistan) के बीच भले ही युद्धविराम की घोषणा (Declaration Ceasefire) कर दी गई हो, लेकिन पाकिस्तान (Pakistan) की ओर से कुछ ही घंटों में इस समझौते का उल्लंघन कर दिया गया। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, सीजफायर की घोषणा के महज तीन घंटे बाद ही पाकिस्तान की ओर से नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी (Firing Line of Control) की गई। विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि पाकिस्तान के सीजफायर उल्लंघन के लिए सेना को पूरी छूट दी गई है। इससे पहले, भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पीओके और पाकिस्तान में स्थित कई आतंकी ठिकानों और लॉन्च पैड्स को नष्ट कर दिया था। जवाब में पाकिस्तान की सेना ने भी कुछ हमले किए, जिन्हें भारतीय सेना ने प्रभावी रूप से नाकाम किया। चार दिन चले इस संघर्ष के बाद अमेरिका की मध्यस्थता से दोनों देशों के बीच युद्धविराम लागू हुआ।
हालांकि, पाकिस्तान का पुराना रिकॉर्ड दिखाता है कि वह पहले युद्ध की शुरुआत करता है, फिर शांति की पहल इसके बाद भी आक्रामक रवैया अपनाता रहा है।
कारगिल युद्ध
फरवरी 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दिल्ली-लाहौर बस सेवा की शुरुआत करते हुए पाकिस्तान का दौरा किया था और तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ साझा घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए थे। लेकिन कुछ ही महीनों बाद, कारगिल की पहाड़ियों में पाकिस्तान द्वारा की गई घुसपैठ ने पूर्ण युद्ध का रूप ले लिया। 3 मई 1999 को शुरु हुए कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय के तहत न सिर्फ पाकिस्तानी घुसपैठियों को भारत से बाहर खदेड़ा पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया।
संसद हमला
जुलाई 2001 में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ भारत आए और आगरा में शांति वार्ता हुई। यद्यपि कोई औपचारिक समझौता नहीं हो सका, पर दोनों पक्षों में सकारात्मक संकेत दिखे। लेकिन छह महीने बाद, भारतीय संसद पर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों ने हमला कर दिया, जिसमें आठ लोगों की जान गई।
पाकिस्तान को सख्त चेतावनी
वर्तमान हालात की बात करें तो भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान प्रायोजित किसी भी आतंकी हमले को सीधे युद्ध की कार्यवाही माना जाएगा और उसी स्तर की प्रतिक्रिया दी जाएगी। रक्षा सूत्रों के अनुसार, यह नीति इस आधार पर तय की गई है कि पाकिस्तान बार-बार आतंकवाद को एक रणनीतिक उपकरण की तरह इस्तेमाल करता रहा है, जिससे भारत की नागरिक सुरक्षा पर खतरा मंडराता रहता है। भारत ने सीजफायर अपनी शर्तों पर किया है, इसके तहत सिंधु जल संधि पर रोक लगी रहेगी।
क्या शहबाज और जनरल मुनीर में खटपट
विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान की नीति में निरंतरता नहीं होने का कारण उसकी आंतरिक अस्थिरता है — जिसमें सेना, न्यायपालिका और राजनीतिक नेतृत्व के बीच टकराव लगातार बना रहता है। पाक पीएम शहबाज बयान दे चुके हैं कि उनका देश सीजफायर समझौते का पूरी तरह से पालन करेगा, दूसरी ओर उनकी सेना एलओसी पर फायरिंग कर रही है। इससे पाकिस्तान में आंतरिक कलह का पता चलता है। यह भी पता चलता है कि शहबाज और पाक आर्मी जनरल आसिम मुनीर के बीच रिश्ते ठीक नहीं चल रहे हैं। हालिया पलगाम आतंकी हमले से पहले मुनीर द्वारा दिया गया एक भड़काऊ भाषण और देश में चल रहे राजनीतिक संकट ने तनाव और बढ़ा दिया।
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