
नई दिल्ली । चीन (China)से खरीदे हथियारों पर जितना गुमान पाकिस्तान (Pakistan)को था ऑपरेशन सिंदूर(Operation Sindoor) ने उसे उतनी ही बुरी तरह चकनाचूर(shattered) कर दिया। लाहौर के पास तैनात चीन के हाईटेक HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम को भारतीय वायुसेना ने महज 23 मिनट में धूल चटा दी। जो सिस्टम भारत की तरफ एक परिंदा भी न उड़ने देने का दावा करता था, वही सिस्टम भारत की इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर तकनीक के आगे घुटनों पर आ गया। पाकिस्तान ने चीन की गोदी में बैठकर जो सुरक्षा घेरा खड़ा किया था, वो उसी के सिर पर गिरी हुई दीवार बन गया। आइए जानते हैं भारत ने कैसे तोड़ा अपने अजीज दोस्त ड्रैगन का सुरक्षा कवच…
7 मई की सुबह भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंक के खिलाफ बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया। महज 23 मिनट चली इस सर्जिकल एयर स्ट्राइक में लाहौर के पास तैनात चीन निर्मित HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम को सफलतापूर्वक जाम करके निष्क्रिय कर दिया गया। साथ ही आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाकर पूरी सटीकता से तबाह किया गया।
गौरलतलब है कि यह कार्रवाई 22 अप्रैल को दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई थी, जिसमें 26 नागरिकों की जान गई थी। हमले में मारे गए लोगों में अधिकतर पर्यटक थे। भारत ने इसे पाकिस्तान द्वारा आतंक को हथियार बनाने की रणनीति का हिस्सा बताया और उसी के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया गया।
भारत ने कैसे किया चीनी एयर डिफेंस सिस्टम को खाक
भारतीय वायुसेना ने इस ऑपरेशन को इंटिग्रेटेड एयर कमांड और कंट्रोल सिस्टम (IACCS) के तहत अंजाम दिया, जिसमें थल, जल और वायु सेना के संसाधनों को एकीकृत रूप से इस्तेमाल किया गया। इस दौरान भारतीय पक्ष को कोई नुकसान नहीं हुआ।
सरकारी प्रेस रिलीज में बताया गया कि लाहौर के पास चीन से मिला HQ-9 डिफेंस सिस्टम इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर तकनीक और भारतीय लूटिंग म्युनिशन्स के जरिए निष्क्रिय किया गया। इसके साथ ही पाकिस्तान द्वारा भारत के उत्तरी और पश्चिमी इलाकों में किए गए ड्रोन और मिसाइल हमलों को भी भारतीय रक्षा प्रणाली ने विफल कर दिया। इन हमलों में चीन के PL-15 मिसाइल और तुर्की के YIHA ड्रोन इस्तेमाल किए गए थे।
इसरो ने भी की खास मदद
ऑपरेशन सिंदूर की खास बात यह रही कि इसमें भारत ने स्वदेशी ड्रोन, गाइडेड हथियार और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम का भरपूर इस्तेमाल किया। इस पूरे मिशन के दौरान ISRO और सेना के वरिष्ठ अधिकारियों की मदद से रियल-टाइम सैटेलाइट निगरानी की गई। दस भारतीय सैटेलाइट्स ने सीमावर्ती इलाकों में दुश्मन की हर गतिविधि पर नजर बनाए रखी।
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