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पहले डायरियों पर प्लॉट बेचे, फिर कॉलोनी भी नहीं की विकसित

June 14, 2025

  • चर्चित कॉलोनाइजर सकलेचा पर प्रशासन ने फिर से गिराई गाज, १७८ भूखंडों को किया राजसात, बेचकर स्मार्ट सिटी करवाएगी अधूरे पड़े विकास कार्य

इंदौर। सुपर कॉरिडोर पर ब्ल्यूमबर्ग नाम से कॉलोनी विकसित करने वाले चर्चित प्रफुल्ल सकलेचा के खिलाफ प्रशासन ने कल फिर से गाज गिराई। पूर्व में भी डायरियों पर भूखंड बेच डालने के मामले में प्रशासन ने एफआईआर दर्ज करवाई थी। अब कॉलोनी का विकास अधूरा छोडऩे के मामले में बंधक रखे गए 178 भूखंडों को राजसात कर लिया है, क्योंकि 2011-12 में भूखंड बेचे और उसके बाद इतने सालों बाद भी कॉलोनी पूर्ण विकसित नहीं की। अब इन राजसात भूखंडों को बेचकर स्मार्ट सिटी द्वारा बचे हुए विकास कार्य करवाए जाएंगे।

पूर्व में भी प्रशासन इस तरह के कॉलोनाइजरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने के साथ उनके बंधक भूखंडों को जब्त कर स्मार्ट सिटी के अलावा प्राधिकरण को भी सौंप चुका है। कल प्रभारी कलेक्टर गौरव बैनल ने एक आदेश जारी करते हुए सोनगीर में साढ़े 17 हेक्टेयर पर काटी गई कॉलोनी ब्ल्यूमबर्ग, जिसका नाम बदलकर ऑर्चिड पार्क कर दिया है, के संबंध में जो शिकायतें प्राप्त हुई उसके खिलाफ आदेश पारित किया, जिसमें 178 बंधक रखे भूखंडों को राजसात कर लिया गया और अन्य भूखंड भी जो अभी तक कॉलोनाइजर द्वारा नहीं बेचे गए हैं उनके क्रय-विक्रय पर भी रोक लगा दी। बंधक भूखंडों को नियम मुताबिक बेचकर उससे जो राशि हासिल होगी उससे कॉलोनी के अधूरे विकास कार्यों को पूर्ण करवाया जाएगा। इसके लिए स्मार्ट सिटी इंदौर को प्रशासन ने अधिकृत किया है। ब्ल्यूमबर्ग में विकास अनुमति कॉलोनाइजर प्रफुल्ल सकलेचा फॉर एस्ट्रॉम रियलिटी प्रा.लि. के नाम से हासिल की गई और 2015 में 178 भूखंडों को धरोहर के रूप में बंधक रखा गया।


पिछले दिनों राजस्व निरीक्षक के जरिए जब कॉलोनी का मौका निरीक्षण करवाया गया तो उसमें बिजली का कार्य नहीं पाया गया। खम्भे, ट्रांसफार्मर नहीं लगे मिले और कॉलोनी के बगीचे भी विकसित नहीं किए। इस संबंध में सकलेचा के अलावा रामेश्वर पटेल उर्फ गुड््डा पटेल को अपना पक्ष रखने के लिए प्रशासन ने कारण बताओ नोटिस भी जारी किए और फिर उसके बाद अभिभाषक के जरिए जो जवाब प्रस्तुत किया गया उसमें बताया गया कि 80 फीसदी काम किया जा चुका है और शेष कार्य भी जल्द पूरा कर कार्यपूर्णता प्रमाण-पत्र हासिल कर लिया जाएगा। मगर राजस्व निरीक्षक ने अपने प्रतिवेदन में बताया कि 2012 में कॉलोनाइजर ने अनुमति ली और 13 साल बाद भी विकास कार्य पूरे नहीं किए। जबकि नियमों के मुताबिक 3 वर्ष की अवधि में अगर विकास कार्य पूर्ण कॉलोनाइजर द्वारा नहीं किए जाते हैं तो सक्षम प्राधिकारी नियम 16 के तहत बंधक रखे भूखंडों को मोहरबंद प्रस्ताव आमंत्रित करते हुए उसका विक्रय करेगा और उससे प्राप्त राशि अधूरे विकास कार्यों को पूर्ण करने में इस्तेमाल की जाएगी। यह भी महत्वपूर्ण है कि कॉलोनाइजर ने कई भूखंड डायरियों पर भी बेच दिए, जिसमें एक शिकायकर्ता ने 80 लोगों को डायरियों के जरिए प्लॉट बुक करने और उनकी रजिस्ट्री भी ना कराए जाने की शिकायत दर्ज करवाई।

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