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पहली बार इंदौर के चीफ इंजीनियर और सिटी एसी एक साथ बदले

June 02, 2025

  • उपभोक्ताओं की परेशानी के चलते बिजली विभाग ने किए दर्जनभर मुख्य पदों पर इंजीनियरों के तबादले

इंदौर। मई महीने में हवा, आंधी और बारिश में बिजल व्यवस्थाएं चरमरा गई थीं। बत्ती गुल से विभाग की जमकर किरकिरी हुई थी, तब से ही माना जा रहा था कि अब तो बड़े स्तर पर बदलाव होंगे और महीना खत्म होते ही दर्जनभर से ज्यादा बड़े पदों पर इंजीनियरों के तबादला आदेश जारी हो गए हैं। इंदौर में चीफ इंजीनियर और सिटी एसी को एक साथ पहली बार बदला गया है। बिजली विभाग में इंदौर संभाग के लिए चीफ इंजीनियर पद पर पुराने सिटी एसी और विजिलेंस विभाग में मुख्य अभियंता कामेश श्रीवास्तव को बनाया गया है। वहीं इस पद पर सीताराम बमनके को कॉरपोरेट ऑफिस बुला लिया गया है। इंदौर सिटी एसी (शहर अधीक्षण यंत्री) मनोज शर्मा को रतलाम, इनके स्थान पर धार डीके गाते को नियुक्त किया है। कामेश श्रीवास्तव, डीके घाटे की नियुक्ति के पीछे उनके काम के लंबे अनुभव और इंदौर जैसे शहर की बिजली मामले की बारीकियों को जानना बताया जा रहा है।

कामेश श्रीवास्तव शहर एवं ग्रामीण इंदौर दोनों पद पर अधीक्षण यंत्री रह चुके हैं तो डीके घाटे भी इंदौर शहर में दो अलग-अलग स्थान पर कार्यपालन यंत्री के महत्वपूर्ण कार्यकाल पूरे करने वाले इंजीनियरों में से हैं। इनके साथ ही रविकुमार मिश्रा को मीटर टेस्टिंग के साथ फीडर के मेंटेनेंस और परीक्षण विश्लेषण का अलग से दायित्व दिया गया है। इंदौर के चीफ इंजीनियर ऑफिस में अतिरिक्त चीफ इंजीनियर आरके आर्य को कॉरपोरेट ऑफिस बुला लिया गया है। उनके स्थान पर उज्जैन के डीएस चौहान की नियुक्ति की गई है। वहीं रतलाम में कार्य कर रहे बेडजमीन फ्रेंकलिन को चीफ इंजीनियर ऑफिस बुला लिया गया है। नीमच के आशीष आचार्य को धार अधीक्षण यंत्री नियुक्त किया गया है। इनके साथ ही बैजनाथ यादव को नीमच से विजिलेंस विभाग उज्जैन में पदस्थ किया है। मल्हारगढ़ के जयपालसिंह ठाकुर को नीमच में पदस्थापना मिली है तो मीटर टेस्टिंग में संतोष रैकवाल को अतिरिक्त दायित्व दिए गए हैं। पिछले सप्ताह ही इंदौर दक्षिण संभाग बिजली विभाग में कार्यपालन यंत्री प्रेम पालीवाल की जगह चीफ इंजीनियर विभाग से राजेश जौहर की नियुक्ति की गई थी।


बदलाव से क्या होगा असर…!
बिजली विभाग में चीफ इंजीनियर और इंदौर सिटी एक दोनों पद पर एक साथ बदलाव करके एमडी अनूपकुमार सिंह ने मजबूत इच्छाशक्ति का परिचय तो दे दिया है, लेकिन इससे हवा, आंधी और बारिश के समय ब्लैकआउट (अंधेरा, बत्ती गुल) जैसी जमीनी परेशानियों से निपटना आसान नहीं है। इन दोनों मुख्य पदों पर इंजीनियरों पर शुरुआत में ही दबाव रहेगा और इनकी कार्यकुशलता इनको दिखानी होगी। मानसून का दौर अब शुरू होने को है और इसी शुरुआती दौर में दिक्कत भी खूब रहती है। इस बदलाव से यह तो साफ है कि मौजूदा पदों पर इंजीनियरों ने अपने दायित्वों को ठीक से नहीं निभाया, जिसके कारण बड़े स्तर पर 15 दिनों से मेंटेनेंस चल रहा है, जिसके कारण लोगों को सुबह -सुबह अंधेरे का सामना करना पड़ रहा है।

शहर में भी बदलाव के संकेत
मई महीने में घंटे अंधेरे का सामना करने के बाद इंदौर शहर में बिजली इंजीनियर के खिलाफ आक्रोश की स्थिति बनी हुई थी। प्रबंध निदेशक और मुख्य महाप्रबंधक तक को लोगों की नाराजगी का सामना करना पड़ा था। भोपाल से भी व्यवस्था में खामी को लेकर ऊर्जा मंत्री और अन्य अधिकारियों ने क्लास लगाई थी। इसके बाद से ही मुख्य पदों पर बैठे इंजीनियरों पर गाज गिरना तय थी। अब इंदौर शहर में लंबे समय से पदस्थ इंजीनियर के बदलाव की उम्मीद है। हालांकि सभी इंजीनियर इंदौर के विधायकों, मंत्रियों से लेकर ऊर्जा मंत्री और भोपाल के बड़े पदों पर काबिज लोगों से संपर्क बनाए हुए हैं, इसलिए ज्यादा बदलाव तो संभव नहीं है।

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