देहरादून (Dehradun)। चमोली हादसे (Chamoli Accidents) के बाद विद्युत सुरक्षा विभाग की तीन सदस्यीय टीम ने पहले दिन जांच के बाद प्रथम दृष्टया यूपीसीएल और एसटीपी (UPCL and STP) दोनों के स्तर पर कुछ खामियां पाई हैं, हालांकि पूरी जांच होने के बाद तस्वीर साफ हो पाएगी।यूपीसीएल जहां भी बिजली आपूर्ति को ट्रांसफार्मर (Power supply to transformer) लगाता है, वहां हाई वोल्टेज या फॉल्ट होने पर इलेक्ट्रिक शॉक से बचाने के लिए अर्थिंग करता है।
नमामि गंगे परियोजना के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में हुए हादसे के दूसरे दिन प्लांट में अर्थिंग को लेकर सवाल उठे। यह हादसे की बड़ी वजह हो सकता है। चमोली के इस प्लांट में भी यूपीसीएल ने अर्थिंग की हुई है। इसी अर्थिंग पर सवाल उठ रहे हैं। गुरूवार को प्लांट का निरीक्षण करने पहुंचे रुड़की के सहायक विद्युत निरीक्षक सुनील कुमार मिश्रा ने बताया कि यूपीसीएल की अर्थिंग काम कर रही थी या नहीं, इसकी शुक्रवार को मशीनों से जांच की जाएगी।
उन्होंने बताया कि प्रथम दृष्टया यूपीसीएल और प्लांट दोनों के स्तर से कुछ खामियां जांच के दौरान नजर आईं हैं। बताया कि करंट फैलने की मुख्य वजह हाई वोल्टेज या शॉर्ट सर्किट दोनों में से कुछ भी हो सकती है।
[repost]
इसकी जांच शुक्रवार को मशीनों से होने के बाद स्थिति स्पष्ट होगी। हालांकि यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार का कहना है कि हाई वोल्टेज की बात तकनीकी तौर पर सही नहीं है। इसकी सूचना बिजली विभाग को मिली तो उन्होंने फॉल्ट तलाश किया। पता चला कि प्लांट के पास जंपर उड़ा हुआ था, जिसकी वजह से प्लांट में आपूर्ति नहीं हो रही थीं। बिजली विभाग के लाइनमैन ने करीब 11 बजे लाइन का शटडाउन लिया और जंपर जोड़ा। करीब 11:25 पर लाइन चालू कर दी गई। जैसे ही लाइन चली तो प्लांट में बिजली आई और करंट दौड़ गया। करंट दौड़ने से हादसा हुआ, जिसमें 16 लोगों की मौत हुई।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved