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पहली बार भारत ने चार दोस्तों संग शुरू किया अहम मिशन, तो टेंशन में आ गया चीन; जानें

July 01, 2025

नई दिल्‍ली । हिंद-प्रशांत क्षेत्र(Indo-Pacific region) में समुद्री सुरक्षा(Maritime Security) और सहयोग को बढ़ाने(enhance cooperation) की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए क्वाड देशों-भारत, जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के तटरक्षक बलों ने विलमिंगटन घोषणा के तहत पहली बार ‘क्वाड समुद्री निगरानी मिशन’ शुरू किया है। इसका नाम “क्वाड एट सी शिप ऑब्जर्वर मिशन” है। इस मिशन के तहत प्रत्येक देश की महिला अधिकारी सहित दो अधिकारी अमेरिका के युद्धपोत कटर स्ट्रैटन पर सवार हैं जो अभी गुआम की ओर जा रहा है। रक्षा मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में इसकी जानकारी दी है।


QUAD नेताओं के शिखर सम्मेलन (सितंबर 2024) में अपनाए गए विलमिंगटन घोषणापत्र में निहित यह मिशन, एक स्वतंत्र, खुले, समावेशी और नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक को मजबूत करने के लिए QUAD के सामूहिक संकल्प को दर्शाता है। बयान में कहा गया है कि यह बढ़ी हुई अंतर-संचालन क्षमता, डोमेन जागरूकता और परिचालन समन्वय के माध्यम से संयुक्त समुद्री तत्परता को मजबूत करता है।

QUAD की समुद्री एजेंसियों की पहल

QUAD की समुद्री एजेंसियों- भारतीय तटरक्षक बल (ICG), जापान तटरक्षक बल (JCG), संयुक्त राज्य तटरक्षक बल (USCG), और ऑस्ट्रेलियाई सीमा बल (ABF) के बीच यह अपनी तरह की पहली पहल है। भारतीय तटरक्षक बल की सक्रिय भागीदारी SAGAR (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) के भारत के रणनीतिक समुद्री दृष्टिकोण को रेखांकित करती है, और इंडो-पैसिफिक महासागर पहल (IPOI) के तहत राष्ट्रीय प्रयासों को पूरक बनाती है।

तटरक्षक बलों के बीच समन्वय स्थापित करना

बयान में कहा गया है कि यह मिशन हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में क्षमता निर्माण, मानवीय पहुंच और नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था के लिए भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता को भी उजागर करता है। इस प्रकार क्वाड एट सी ऑब्जर्वर मिशन समान विचारधारा वाले इंडो-पैसिफिक भागीदारों के बीच परिचालन तालमेल, विश्वास और समुद्री शासन को गहरा करने के साथ-साथ तटरक्षक बलों के बीच समन्वय स्थापित करने का रास्ता खोलता है।

क्वाड ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच एक कूटनीतिक साझेदारी है जो एक खुले, स्थिर और समृद्ध इंडो-पैसिफिक का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है जो समावेशी और लचीला है। क्वाड का सकारात्मक और व्यावहारिक एजेंडा स्वास्थ्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, बुनियादी ढाँचा, महत्वपूर्ण और उभरती हुई तकनीक, साइबर सुरक्षा, मानवीय सहायता और आपदा राहत, अंतरिक्ष, समुद्री सुरक्षा, गलत सूचनाओं का मुकाबला करने और आतंकवाद का मुकाबला करने सहित क्षेत्र की प्राथमिकताओं और सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों के जवाब में इंडो-पैसिफिक के लिए परिणाम देने पर केंद्रित है।

सकते में क्यों चीन, क्यों उड़ी नींद?

उधर, क्वाड देशों के इस ऐतिहासिक कदम से पड़ोसी देश चीन सकते में है। दरअसल,जिस गुआम द्वीप की ओर क्वाड देशों की टुकड़ी अमेरिकी युद्धपोत पर कूच कर रही है, उसको लेकर चीन और अमेरिका में तनातनी रही है। गुआम पश्चिमी प्रशांत महासागर में फिलीपीन सागर की सीमा पर स्थित एक अमेरिकी क्षेत्र है, जहां अमेरिका का सैन्य अड्डा है। चीन इसे एक संभावित सैन्य लक्ष्य के रूप में देखता रहा है। चीन के पास लंबी दूरी की मिसाइलें हैं जो गुआम तक पहुंच सकती हैं, जिससे द्वीप को संभावित मिसाइल हमलों का खतरा है।

गुआम चीन से 4750 किलोमीटर दूर

चीन की मुख्य भूमि से यह करीब 4750 किलोमीटर दूर है, जो चीनी बैलिस्टिक मिसाइल की जद में आता है। हाल ही में गुआम के गवर्नर ने ताइवान का दौरा किया था, जिसकी चीन ने आलोचना की थी। उनके दौरे के समय चीन ने अपने युद्धपोतों, मिसाइलों और युद्धक विमानों को ताइवान पर आक्रमण करने के लिए तैयार कर लिया था लेकिन ये बला टल गई लेकिन अब जब क्वाड देशों के तटरक्षक बल पहली बार इस क्षेत्र में समुद्री निगरानी मिशन पर निकले हैं तो चीन फिर से बेचैन हो उठा है। उसे डर सता रहा है कि इसकी आड़ में अमेरिका कहीं उसके खिलाफ क्षेत्र में घेराबंदी तो नहीं कर रहा।

गुआम द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से एक महत्वपूर्ण सैन्य चौकी रहा है, जिस पर एंडरसन एयर फ़ोर्स बेस और उसके कई बाहरी प्रतिष्ठानों का प्रभुत्व है। यहां एक मजबूत नौसैनिक और समुद्री उपस्थिति भी रही है, जहां लगभग 30% क्षेत्र पर अमेरिकी सैन्य प्रतिष्ठानों का कब्जा है।

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