
इंदौर। अब तक पुलिस साइबर अपराधों से लोगों को बचाने के लिए एडवाइजरी जारी करती थी, लेकिन पहली बार पुलिस ने नकली पुलिस से लोगों को बचाने के लिए एडवाइजरी जारी की। शहर में इस गिरोह ने एक सप्ताह में दो वारदातों को अंजाम दिया है। वारदात का डर दिखाकर चेकिंग के नाम पर पुलिस वाला बनकर बुजुर्गों को निशाना बनाने वाला गिरोह शहर में सक्रिय है। इस गिरोह ने द्वारकापुरी में सुषमा सिंह नामक एक बुजुर्ग महिला और फिर एरोड्रम क्षेत्र में चंदनबाला बोहरा नामक महिला को घटना का डर दिखाकर उनसे जेवर उतारने को कहा।
बाद में खुद की मदद के बहाने जेवर झोले में रखने का नाटक किया और चेन गायब कर दी। दोनों मामलों में केस दर्ज किया गया है। इस तरह की वारदातें भोपाल, सेंधवा के ईरानी गिरोह के सदस्य करते हैं। ये लोग एक शहर में जाते हैं और दो-तीन वारदात कर चंपत हो जाते हैं। पुलिस अब फुटेज के आधार पर गिरोह की तलाश कर रही है। वहीं पहली बार क्राइम ब्रांच के एडीसीपी राजेश दंडोतिया ने नकली पुलिस से बचने के लिए एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि पुलिस कभी भी घटना का डर दिखाकर जेवर उतारने का नहीं कहती है।
ऐसा कोई व्यक्ति उन्हें पुलिस बनकर रोकता है तो उसकी बातों में न आएं, तुरंत कंट्रोल रूम पर फोन करें। ऐसा नहीं है कि ये घटनाएं शहर में पहली बार हुई हैं। ऐसी घटनाएं हर साल होती हैं, जिसके बाद पुलिस ने यह एडवाइजरी जारी की है। इसके पहले पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट से बुजुर्गों को बचाने के लिए अभियान चलाया था, जिसका असर भी हुआ और इस बार केवल चार-पांच शिकायतें पुलिस के पास डिजिटल अरेस्ट की पहुंची हैं, जबकि पिछले साल 18 मामले पहुंचे थे।
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