
नई दिल्ली । अमेरिकी राष्ट्रपति (us President)डोनाल्ड ट्रंप (donald trump)ने उस विधेयक को सीनेट (अमेरिकी संसद के ऊपरी सदन) में पेश करने की इजाजत (permission to present)दे दी है, जिसमें कहा गया है कि रूस से व्यापार करने वाले देशों पर 500 फीसदी का टैक्स लगाया जाए। इसमें भारत और चीन को भी शामिल किया गया है। दक्षिणी कैरोलिना से रिपब्लिकन सांसद लिंडसे ग्राहम ने एक इंटरव्यू में इसका दावा किया है। ABC न्यूज को दिए अपने इंटरव्यू में ग्राहम ने कहा कि यह उनके लिए एक बड़ी सफलता है क्योंकि इस बिल का प्रस्ताव उन्हीं ने रखा है।
ग्राहम ने कहा, “यह बिल क्या करता है? यदि आप रूस से उत्पाद खरीद रहे हैं और आप यूक्रेन की मदद नहीं कर रहे हैं, तो आपके उत्पादों पर संयुक्त राज्य अमेरिका में आने पर 500 फीसदी का टैरिफ लगेगा। भारत और चीन पुतिन के तेल का 70 फीसदी खरीदते हैं और ऐसा कर वह रूस के युद्ध मशीन को ईंधन दे रहे हैं।” अमेरिकी सांसद का दावा ऐसे वक्त पर आया है, जब भारत अमेरिका से ट्रंड डील फाइनल करने के लिए बातचीत कर रहा है।
पहली बार ट्रंप ने किया समर्थन
ग्राहम ने कहा कि यह पहली बार है, जब ट्रंप ने इस बिल का समर्थन किया है, जिसका उद्देश्य चीन और भारत जैसे देशों पर उच्च टैरिफ लगाकर उन पर हमला करना है जो बड़ी मात्रा में रूसी तेल आयात करना जारी रखे हुए हैं। ग्राहम ने कहा, “भारत और चीन रूस का 70% तेल खरीद रहे हैं – वे युद्ध मशीन को चालू रख रहे हैं। मेरे विधेयक के 84 सह-प्रायोजक हैं… कल पहली बार राष्ट्रपति ट्रंप ने मुझसे कहा कि विधेयक को आगे बढ़ाने का समय आ गया है।” उन्होंने कहा कि जब वह गोल्फ खेल रहे थे तभी प्रेसिडेंट ट्रंप ने कहा कि बिल को आगे बढ़ाने का वक्त आ गया है।
बिल का उद्देश्य भारत और चीन पर दबाव डालना
ग्राहम ने कहा कि उनके इस बिल का उद्देश्य भारत और चीन जैसे देशों पर रूस से तेल और अन्य सामान खरीदना बंद करने के लिए दबाव डालना है, ताकि रूस की अर्थव्यवस्था कमजोर हो और मॉस्को को यूक्रेन में शांति वार्ता के लिए प्रेरित किया जा सके। रिपोर्ट के मुताबिक, इस बिल को अगस्त में पेश किए जाने की उम्मीद है। यह अमेरिका की उस कोशिश का एक हिस्सा है, जिसके जरिए अमेरिका रूस पर आर्थिक शिकंजा कसना चाह रहा है क्योंकि यूक्रेन में उसका युद्ध जारी है और पुतिन शांति वार्ता करने या सीजफायर करने से नकार रहे हैं। दूसरी तरफ, भारत और चीन ने पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद छूट वाले रूसी तेल खरीदना जारी रखा है। इसी वजह से भारत और चीन इस कानून के जरिए अमेरिकी निशाने पर आ सकते हैं।
इस बिल को ग्राहम और डेमोक्रेटिक सीनेटर रिचर्ड ब्लूमेंथल ने सह-प्रायोजित किया है। मार्च में शुरू में प्रस्तावित, इस कानून को वाइट हाउस द्वारा प्रतिबंधों के विस्तार के विरोध के संकेत के बाद रोक दिया गया था, क्योंकि ट्रम्प रूसी राष्ट्रपति के साथ संबंधों को फिर से स्थापित करने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि, अब ट्रंप प्रशासन इस प्रयास का समर्थन करने के लिए तैयार दिख रहा है।
अगर बिल पारित हो जाता है तो…
अगर यह बिल अमेरिकी संसद से पारित हो जाता है तो इससे भारत और चीन दोनों के साथ अमेरिकी व्यापारिक संबंधों में बड़ी दरार आ सकती है। भारत के लिए अमेरिका शीर्ष निर्यात बाजार रहा है। इस बिल के पारित होने से भारतीय निर्यात बाधित होंगे, जिसकी वजह से आर्थिक और कूटनीतिक रिश्ते बिगड़ सकते हैं। दूसरी तरफ भारत अपनी 40% तेल जरूरतें रूस से पूरी करता है। ऐसे में यह टैरिफ देश के लिए बड़ा झटका हो सकता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल से नवंबर 2024 तक भारत ने अपनी 88% तेल जरूरत आयात से पूरी की थीं।
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