
नई दिल्ली । अमेरिकी राष्ट्रपति(us President) डोनाल्ड ट्रंप(Donald Trump) द्वारा रूस के साथ व्यापारिक संबंधों(business relations) को लेकर लगातार भारत(India ) और चीन(China) पर निशाना साधा जा रहा रहा है। यह सिलसिला संयुक्त राष्ट्र के मंच पर भी जारी रही है। इस बीच चीनी राजदूत जू फेइहोंग ने भारत और चीन से राजनीतिक शक्ति, आधिपत्य और किसी भी अन्य टैरिफ और व्यापार युद्ध का विरोध करने के लिए हाथ मिलाने का आह्वान किया है।
मंगलवार को नई दिल्ली में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने कहा कि भारत और चीन को सत्ता की राजनीति, वर्चस्ववाद और किसी भी तरह के शुल्क या व्यापार युद्ध का मिलकर विरोध करना चाहिए। चीन की 76वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में राजदूत ने एक चार बिंदु वाला प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को आपसी संबंधों के लिए सही रास्ता अपनाना होगा, जो परस्पर सम्मान, विश्वास, शांतिपूर्ण सहअस्तित्व और साझा विकास पर आधारित हो।
उन्होंने यह भी कहा कि सीमा विवाद को मौजूदा रिश्तों पर हावी नहीं होने देना चाहिए और द्विपक्षीय व्यापार को आगे बढ़ाना चाहिए, क्योंकि इसमें बेहद बड़ी संभावनाएं हैं।
शू ने बताया कि जनवरी से अगस्त 2025 तक भारत-चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 10.4% की वृद्धि के साथ 102 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। उन्होंने कहा कि चीन भारत के साथ मिलकर साझा हितों का बड़ा दायरा बनाने को तैयार है।
इसके साथ ही, चीनी दूतावास और वाणिज्य दूतावासों ने इस वर्ष 22 सितंबर तक भारतीय नागरिकों को 2,65,000 से अधिक वीजा जारी किए हैं। शू ने कहा, “हम सभी स्तरों और क्षेत्रों में भारत के साथ मित्रवत आदान-प्रदान बढ़ाना चाहते हैं और परस्पर समझ और दोस्ती को और गहरा करना चाहते हैं।”
मोदी-शी मुलाकात का हवाला
राजदूत ने हाल ही में तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि चीन दोनों नेताओं की साझा समझ के मार्गदर्शन में भारत-चीन संबंधों को स्थिर और स्वस्थ विकास की दिशा में आगे बढ़ाने को तैयार है।
ट्रंप का भारत-चीन पर हमला
इसी बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत और चीन पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने दोनों देशों को रूस से ऊर्जा खरीदकर यूक्रेन युद्ध को फंड करने का आरोप लगाया। ट्रंप ने कहा, “चीन और भारत रूस से तेल खरीदकर इस युद्ध के प्रमुख फंडर बने हुए हैं। उन्हें तुरंत सभी ऊर्जा खरीद बंद करनी चाहिए, वरना यह सब समय की बर्बादी है।”
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