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पूर्व थलसेना प्रमुख बोले – भारत अपनी नीति पर रहेगा अडिग… नहीं चलेगा किसी का हुक्म

October 01, 2025

नई दिल्ली। पूर्व थलसेना प्रमुख (Former Army Chief ) जनरल मनोज मुकुंद नरवणे (General Manoj Mukund Narvane) ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि भारत (India) अपनी रणनीतिक स्वायत्तता की नीति पर अडिग रहेगा और किसी भी देश के दबाव में अपनी नीतियों में बदलाव नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि भारत अपने हितों को सर्वोपरि रखेगा और कोई भी देश उसे यह तय करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता कि वह किससे व्यापार करे और किससे न करे। जनरल नरवणे ने यह बातें ‘द जनरल एंड द जर्नलिस्ट पॉडकास्ट’ में जनरल सर पैट्रिक सैंडर्स और टॉम न्यूटन डन के साथ बातचीत के दौरान कहीं।


अमेरिका के दबाव पर भारत का करारा जवाब
जब जनरल नरवणे से पूछा गया कि भारत अमेरिका के दबाव में क्यों नहीं आता, तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा, “जब यूरोप रूस से गैस खरीद रहा है और अमेरिका स्वयं रूस से अन्य सामान खरीद रहा है, तो केवल भारत को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है?” उन्होंने आगे कहा, “हम जिससे चाहें, उससे खरीदेंगे। कोई और हमें यह निर्देश देने वाला कौन होता है? हमें अपने लोगों के हितों का ध्यान रखना है। क्या हम कहीं और से अधिक कीमत पर सामान खरीदें और अपने देश में महंगाई को बढ़ावा दें? नहीं, यह हमारे लोगों के हित में नहीं है। हम वही करेंगे जो हमारे हित में है और यही हर देश करता है। फिर किसी एक देश पर उंगली क्यों उठाई जाए?”

रूस पर ऊर्जा निर्भरता का सवाल
जब उनसे पूछा गया कि क्या रूस जैसे देश पर ऊर्जा के लिए निर्भर रहना समझदारी है, जो भविष्य में भारत के खिलाफ जा सकता है? इस पर जनरल नरवणे ने कहा, “हम पूरी तरह से रूस पर ऊर्जा के लिए निर्भर नहीं हैं। हम दुनिया के कई अन्य देशों से भी आयात कर रहे हैं। लेकिन फिर भी, दूसरों पर प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं- वेनेजुएला से मत खरीदो, ईरान से मत खरीदो, रूस से मत खरीदो। तो फिर हम किससे खरीदें? केवल उनसे, जिनसे आप चाहते हैं कि हम खरीदें, ताकि आपके स्वार्थ पूरे हों? यह किसी भी स्वाभिमानी व्यक्ति या देश के लिए स्वीकार्य कैसे हो सकता है? हम वही करेंगे जो हम चाहते हैं, और मुझे लगता है कि हम उस स्थिति में पहुंच चुके हैं जहां हमें किसी और की बात सुनने की जरूरत नहीं है।”

एससीओ शिखर सम्मेलन और वैश्विक कूटनीति
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर, जनरल नरवणे ने कहा कि भारत किसी को सबक सिखाने की कोशिश नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा, “हमने हमेशा कहा है कि हम रणनीतिक स्वायत्तता की नीति का पालन करते हैं, जहां हमें किसी भी परिस्थिति में एक सैद्धांतिक दृष्टिकोण अपनाने की स्वतंत्रता है। यही हम अमेरिका के साथ भी कर रहे हैं।”

भारत-अमेरिका संबंधों पर विचार
जनरल नरवणे ने भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को लेकर कहा कि दोनों देशों के बीच हमेशा से उत्कृष्ट संबंध रहे हैं, लेकिन किसी भी रिश्ते में उतार-चढ़ाव आते हैं। उन्होंने कहा, “पहले भी दो बड़े उतार-चढ़ाव आए हैं, लेकिन हमने हमेशा इन तूफानों का सामना किया और पहले से अधिक मजबूत होकर उभरे हैं।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि देशों के बीच संबंध केवल एक स्तर पर नहीं चलते, बल्कि इसमें राजनीतिक, कूटनीतिक, व्यापारिक, सैन्य और लोगों से लोगों के बीच संपर्क जैसे कई कारक शामिल होते हैं। यह जरूरी नहीं कि एक स्तर पर समस्या होने से पूरा रिश्ता खराब हो जाए।

रणनीतिक स्वायत्तता पर भारत का रुख
जनरल नरवणे ने भारत की रणनीतिक स्वायत्तता की नीति पर जोर देते हुए कहा कि भारत अपनी नीतियों और निर्णयों में स्वतंत्र रहेगा। उन्होंने कहा कि भारत अपने लोगों और देश के हितों को ध्यान में रखकर ही कोई कदम उठाएगा, और किसी भी बाहरी दबाव को स्वीकार नहीं करेगा। यह बयान भारत की उस नीति को दर्शाता है, जिसमें वह वैश्विक मंच पर अपनी स्वतंत्र पहचान और निर्णय लेने की क्षमता को बनाए रखना चाहता है।

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