
काठमांडू । नेपाल में (In Nepal) पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की (Former Chief Justice Sushila Karki) को अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई जा सकती है (May be sworn in as Interim Prime Minister) ।
नेपाल में जेन-जी के आंदोलन के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से लेकर कई मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया। भ्रष्टाचार और कुशासन के खिलाफ युवाओं का देशव्यापी विरोध प्रदर्शन जारी है। इस बीच पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाने की तैयारी चल रही है। शुक्रवार को नियुक्ति की औपचारिकता हो सकती है, जिसे बढ़ते जन असंतोष के बीच एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम माना जा रहा है।
नेपाल के राष्ट्रपति कार्यालय ‘शीतल निवास’ ने अपने कर्मचारियों को नए अंतरिम प्रधानमंत्री के स्वागत की तैयारी शुरू करने का निर्देश दिया है। गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को भी इसी तरह के निर्देश जारी किए गए हैं, जिसमें उन्हें राजनीतिक सहमति बनने के बाद आधिकारिक परिवर्तन के लिए तैयार रहने को कहा गया है। जैसे ही देश की प्रमुख पार्टियां और राष्ट्रपति अंतरिम सरकार का नेतृत्व सुशीला कार्की के हाथों में सौंपने पर औपचारिक सहमति बना लेते हैं, वैसे ही मंत्रालय को संबंधित व्यवस्थाएं शुरू करने का निर्देश दिया गया है।
सुशीला कार्की एक प्रतिष्ठित न्यायविद और नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश हैं। उनकी छवि एक निष्पक्ष व्यक्ति के रूप में है, जो इस अस्थिर दौर में विश्वसनीयता और स्थिरता बहाल करने में सक्षम हो सकती हैं। कई दिनों की राजनीतिक उथल-पुथल के बाद जनता के बड़े धड़े ने सुशीला कार्की के हाथ देश के अंतरिम नेतृत्व को सौंपने की मांग की है। इससे पहले, नेपाल विद्युत प्राधिकरण (एनईए) के पूर्व प्रमुख कुलमन घीसिंग को भी एक संभावित उम्मीदवार माना जा रहा था। घीसिंग को व्यापक सुधारों के माध्यम से बिजली की कमी को समाप्त करने के लिए सराहा जाता है।
यह राजनीतिक परिवर्तन सोमवार से पूरे देश में चल रहे व्यापक भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों के बीच हो रहा है। नेपाल में फैली हालिया अशांति और जेन-जी का आंदोलन सोशल मीडिया पर बैन के सरकार के फैसले का परिणाम है। युवाओं ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए सरकार के खिलाफ हल्ला बोल दिया।
काठमांडू में शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन और सुरक्षा बलों से झड़प में अब तक 34 लोगों की जान चली गई है। देखते ही देखते जेन-जी का गुस्सा पोखरा, बुटवल और बीरगंज जैसे शहरों में फैल गया। नेपाल में हुई हिंसक झड़पों में 1,000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। प्रदर्शन के बीच नेपाल सरकार की प्रतिक्रिया की व्यापक आलोचना पूरे देश में हो रही है।
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