img-fluid

यूपी में ‘बुलडोजर कार्रवाई’ पर पूर्व जजों, अधिवक्ताओं ने सीजेआई को लिखा पत्र

June 14, 2022


नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट (Supreme Court and High Court) के पूर्व न्यायाधीशों के एक समूह (AGroup of Former Judges) ने वरिष्ठ अधिवक्ताओं के साथ (With Senior Advocates) मंगलवार को भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) एन.वी. रमना (N. V. Ramana) को यूपी में ‘बुलडोजर कार्रवाई’ पर (On Bulldozer Action in UP) एक याचिका पत्र लिखा (Wrote A Petition Letter) । पत्र में ‘पैगंबर टिप्पणी विवाद’ के बाद उत्तर प्रदेश में हाल ही में बुलडोजर से विध्वंस अभियान चलाए जाने के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेने का अनुरोध किया गया है।


सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीशों सहित 12 पूर्व न्यायाधीशों – न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी, न्यायमूर्ति वी. गोपाल गौड़ा, न्यायमूर्ति ए.के. गांगुली और वरिष्ठ वकीलों द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में शीर्ष अदालत से राज्य में ‘कानून व्यवस्था को बिगड़ने’ से रोकने का आग्रह किया है। पत्र में कहा गया है कि प्रदर्शनकारियों की बात सुनने और लोगों को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का मौका देने के बजाय उत्तर प्रदेश प्रशासन ने ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ हिंसक कार्रवाई करने की मंजूरी दे दी है।

याचिका में कहा गया है, “मुख्यमंत्री ने कथित तौर पर आधिकारिक तौर पर अधिकारियों को दोषियों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित किया है, जिससे एक उदाहरण स्थापित हो, ताकि कोई भी अपराध न करे या भविष्य में कानून अपने हाथ में न ले। उन्होंने आगे निर्देश दिया है कि गैरकानूनी विरोध के दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 और उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स और असामाजिक गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1986 लागू किया जाए। इन्हीं टिप्पणियों ने पुलिस को प्रदर्शनकारियों को बेरहमी से और गैरकानूनी तरीके से प्रताड़ित करने के लिए प्रोत्साहित किया है।”

इसके अलावा, कहा गया है कि पुलिस हिरासत में युवकों को लाठियों से पीटे जाने, प्रदर्शनकारियों के घरों को बिना किसी पूर्व सूचना के ध्वस्त किया जा रहा है और अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के प्रदर्शनकारियों का पुलिस द्वारा पीछा किए जाने और पीटे जाने के वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे हैं। इन सब ने देश की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया।

प्रशासन द्वारा इस तरह का क्रूर दमन नागरिकों के अधिकारों का हनन है और इस तरह संविधान व राज्य सरकार द्वारा गारंटीकृत मौलिक अधिकारों का मजाक बनाया जा रहा है। पत्र में आग्रह किया गया है, “हम सुप्रीम कोर्ट से उत्तर प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति, विशेष रूप से पुलिस और राज्य के अधिकारियों की मनमानी और नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर क्रूर दमन को रोकने के लिए तत्काल स्वत: कार्रवाई करने का आग्रह करते हैं।”

याचिका पत्र पर दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ए.पी. शाह, मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति के.चंद्रू और कर्नाटक हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मोहम्मद अनवर सहित अन्य न्यायाधीशों के अलावा, वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण, इंदिरा जयसिंह, चंद्र उदय सिंह, श्रीराम पंचू, प्रशांत भूषण और आनंद ग्रोवर ने भी हस्ताक्षर किए हैं।

भाजपा के कुछ प्रवक्ताओं ने हाल ही में पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणियां की थीं, जिसके बाद देश के कई हिस्सों और विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में विरोध प्रदर्शन हुए। पार्टी दो प्रवक्ताओं में से एक को निलंबित और दूसरे को निष्कासित कर चुकी है।

Share:

  • मार्केट में धूम मचानें आ गए Elista तीन प्रीमियम स्‍मार्ट टीवी, मिलेगा एलेक्सा का सपोर्ट, देखें कीमत

    Tue Jun 14 , 2022
    नई दिल्ली। घरेलू कंपनी एलिस्टा ने webOS TV के साथ अपने अल्ट्रा-प्रीमियम स्मार्ट एलईडी टीवी को लॉन्च करने की घोषणा की है। कंपनी ने एक साथ तीन स्मार्ट टीवी लॉन्च किए हैं जिनमें 43 इंच, 50 इंच और 55 इंच के मॉडल शामिल हैं। सभी टवी के साथ webOS TV ओएस दिया गया है और […]
    सम्बंधित ख़बरें
    लेटेस्ट
    खरी-खरी
    का राशिफल
    जीवनशैली
    मनोरंजन
    अभी-अभी
  • Archives

  • ©2025 Agnibaan , All Rights Reserved