नॉर्वे । पूर्व नाटो महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग (Jens Stoltenberg) ने अपनी नई आत्मकथा ‘ऑन माई वॉच’ (On My Watch) में नाटो प्रमुख के रूप में अपने दस वर्षीय कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण घटनाओं का खुलासा किया है। यह पुस्तक 29 सितंबर 2025 को नॉर्वे में लॉन्च हुई, जिसमें उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ हुए विवादास्पद क्षणों से लेकर यूक्रेन युद्ध में शांति के संभावित समाधान तक की बातें साझा की हैं।
ट्रंप के ईगो को किया शांत
स्टोल्टेनबर्ग ने 2018 के नाटो शिखर सम्मेलन के दौरान ट्रंप के व्यवहार का उल्लेख किया है। उन्होंने बताया कि ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में नाटो के दो प्रतिशत रक्षा बजट लक्ष्य को पूरा करने में कई यूरोपीय देशों की असफलता के कारण गठबंधन से बाहर निकलने की धमकी दी थी। वे विशेष रूप से तत्कालीन चांसलर एंजेला मर्केल के नेतृत्व वाले जर्मनी से बेहद नाराज थे, जो अभी भी खर्च लक्ष्य से काफी पीछे था। गुस्से में ट्रंप ने कहा था कि मैं यह बैठक छोड़ रहा हूं। अब मेरे यहां रहने का कोई कारण नहीं है।
इसके बाद स्टोल्टेनबर्ग ने ट्रंप के ‘अहंकार’ को संतुष्ट करने वाली रणनीति अपनाया और सम्मेलन के दौरान ट्रंप की प्रशंसा करते हुए स्थिति को संभाला। उन्होंने लिखा कि ट्रंप को एक मजबूत नेता के रूप में महसूस कराना आवश्यक था, ताकि गठबंधन की एकजुटता बनी रहे। उन्होंने आगे बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति को शांत करने के लिए मार्क रूटे (जो उस समय डच प्रधानमंत्री थे और बाद में स्टोल्टेनबर्ग के उत्तराधिकारी के रूप में नाटो प्रमुख बने) ने ट्रंप को बताया कि यूरोपीय देशों ने पिछले वर्ष अपने रक्षा व्यय में 33 अरब यूरो (39 अरब डॉलर) की बढ़ोतरी की है।
स्टोल्टेनबर्ग ने लिखा कि थोड़ी देर बाद ट्रंप ने मोटा काला मार्कर निकाला और एक कागज पर कुछ लिखा, फिर नोट थमा दिया। उन्होंने बताया कि नोट में लिखा था ‘महासचिव, अगर आप कह सकते हैं कि नाटो सहयोगियों ने मेरे कारण अपने रक्षा खर्च में उल्लेखनीय वृद्धि की है, तो मुझे लगता है कि हम इस पर सहमत हो सकते हैं।’ स्टोल्टेनबर्ग ने आगे बताया कि उन्होंने इसका अनुपालन किया, जिससे ट्रंप को जीत का दावा करने का मौका मिला और इससे वाशिंगटन के नाटो से हटने का जोखिम कम हो गया।
2014 से 2024 तक नाटो प्रमुख रहे स्टोल्टेनबर्ग ने यूक्रेन युद्ध को लेकर एक ‘फिनिश समाधान’ का प्रस्ताव रखा। उनके अनुसार, यूक्रेन को नाटो सदस्यता के बिना ही रूस के साथ शांति स्थापित करनी चाहिए, जहां यह तटस्थ रहे लेकिन पश्चिमी सहयोग बनाए रखे। यह विचार युद्ध के लंबे समय तक चलने की आशंका को ध्यान में रखते हुए दिया गया है, ताकि यूक्रेन की संप्रभुता सुरक्षित रहे। उन्होंने फिनलैंड का उदाहरण दिया, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सोवियत नेता जोसेफ स्टालिन के साथ शांति समझौते के तहत अपने क्षेत्र का 10 प्रतिशत हिस्सा छोड़ दिया था।
स्टोल्टेनबर्ग ने कहा कि जब मैंने पहली बार यूक्रेन युद्ध के लिए ‘फिनिश समाधान’ का संकेत दिया, तो जेलेंस्की ने किसी भी क्षेत्र को सौंपने के विचार को पूरी तरह से खारिज कर दिया था। लेकिन समय के साथ जेलेंस्की और उनके सलाहकार अस्थायी हस्तांतरण के प्रति कम उदासीन हो गए, इस शर्त पर कि नई सीमाओं और यूक्रेन की सुरक्षा की गारंटी यूक्रेनी नाटो सदस्यता के माध्यम से दी जाएगी।
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