
बेंगलुरु । कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) ने जनता दल (सेक्युलर) नेता एवं होले नरसीपुरा के विधायक और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के बेटे एच डी रेवन्ना (H D Revanna) के खिलाफ उनकी पूर्व घरेलू सहायिकता द्वारा दायर महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने (IPC की धारा 354) के आरोप को खारिज कर दिया है। अदालत ने हालांकि आईपीसी की धारा 354ए के तहत यौन उत्पीड़न के आरोप को बरकरार रखा है और निचली अदालत को यह पड़ताल करने का निर्देश दिया है कि क्या शिकायत दर्ज करने में देरी को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 468 के तहत माफ किया जा सकता है।
रेवन्ना जेल में बंद पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना के पिता हैं। वह केंद्रीय मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी के बड़े भाई हैं। जस्टिस एम.आई. अरुण ने कहा कि शिकायत की विषय-वस्तु अधिक गंभीर धारा 354 के बजाय, धारा 354ए के तहत यौन उत्पीड़न के अपराध के अनुरूप थी। रेवन्ना ने प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध करते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसमें दलील दी गई थी कि शिकायत तीन साल की सीमा अवधि के बाद दायर की गई थी, जो तीन साल तक के कारावास से दंडनीय अपराधों के लिए लागू होती है।
अभियोजन पक्ष ने कहा कि कि याचिका स्वयं ही निरर्थक हो गई है, क्योंकि पुलिस पहले ही आरोप पत्र प्रस्तुत कर चुकी है तथा निचली अदालत ने संज्ञान ले लिया है। रेवन्ना के लिए न्यायाधीश ने कहा कि आरोप शिकायतकर्ता के प्रारंभिक बयान के आधार पर ही तय किए जाने चाहिए, जो केवल धारा 354ए के आरोप का समर्थन करता है।
धारा 354ए के तहत अपराध के लिए अधिकतम तीन साल की सजा का प्रावधान है, इसलिए न्यायाधीश ने माना कि शिकायत प्रथमदृष्टया सीआरपीसी की धारा 468 के तहत समय-सीमा के कारण वर्जित है। इसलिए मामले को निचली अदालत को वापस भेज दिया गया है। हालांकि धारा 354 के तहत अधिकतम सजा पांच साल की है और गैर जमानती है। निचली अदालत अब यह तय करेगी कि शिकायत दर्ज करने में हुई देरी को माफ किया जाना चाहिए या नहीं और फिर यौन उत्पीड़न के आरोप पर तदनुसार आगे कार्रवाई की जाएगी।
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