
सियोल। मार्शल लॉ (Martial Law ) का आदेश देने वाले दक्षिण कोरिया (South Korea) के पूर्व राष्ट्रपति यून सुक येओल (Yoon Suk Yeol) को अब छह महीने और जेल में रहना पड़ेगा। मार्शल लॉ मामले में येओल पर कई और आरोप तय किए गए हैं। यह आरोप उनको राष्ट्रपति पद (Presidency) से हटाए जाने के लगभग तीन महीने बाद लगाए गए।
इसी साल अप्रैल में देश के सांविधानिक न्यायालय ने महाभियोग को बरकरार रखने का फैसला सुनाया था। इसके बाद येओल को पद से हटा दिया गया। सियोल सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने जनवरी में उनकी गिरफ्तारी को रद्द कर दिया था। मार्च में हुई रिहाई के समय अदालत ने उन्हें हिरासत में लिए बिना विद्रोह का मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी। पिछले दिनों सियोल कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट को मंजूरी देने के बाद यून को वापस जेल भेज दिया था।
विशेष अभियोजक चो यून-सुक और उनकी टीम यून के खिलाफ इन आपराधिक मामलों की जांच कर रही है। उनकी टीम ने यून पर सत्ता का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। इससे उनके कुछ कैबिनेट सदस्यों के अधिकार प्रभावित हुए। चो की टीम के एक वरिष्ठ अन्वेषक पार्क जी-यंग ने बताया कि यून ने अपने आपातकालीन मार्शल लॉ को मंजूरी देने के लिए केवल चुनिंदा कैबिनेट सदस्यों को ही बुलाया था, जबकि दक्षिण कोरियाई कानून के अनुसार ऐसे किसी भी कदम के लिए सभी कैबिनेट सदस्यों की मंजूरी जरूरी है। पार्क ने कहा कि यून पर मार्शल लॉ घोषणा की औपचारिक आवश्यकता को पूरा करने के लिए एक आधिकारिक दस्तावेज को गढ़ने का भी आरोप लगाया गया था, जिसे बाद में उन्होंने नष्ट कर दिया।
यून ने कहा कि मार्शल लॉ का आदेश मुख्य उदारवादी विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी की दुष्टता के खिलाफ उनकी लड़ाई में जनता का समर्थन हासिल करने की एक हताश कोशिश थी। इसने उनके एजेंडे में बाधा डाली थी। उन्होंने शीर्ष अधिकारियों पर महाभियोग चलाया था और सरकार के बजट विधेयक में कटौती की थी। इससे पहले उन्होंने नेशनल असेंबली को अपराधियों और देश-विरोधी ताकतों का अड्डा बताया था।
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