
तिरुवनंतपुरम । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस रोहिंटन नरीमन (Justice Rohinton Nariman) ने हाल ही में देश भर के धार्मिक संस्थानों (Religious institutions) में इस्तेमाल होने वाले लाउडस्पीकरों (loudspeakers) पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि ऐसे धार्मिक संस्थान चाहे मंदिर हों या मस्जिद या फिर गुरुद्वारा या किसी भी धर्म से जुड़ा कोई भी पवित्र स्थल हो, वहां लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए क्योंकि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरा पहुंचा रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर इस पर रोक नहीं लगाया गया तो ये सीधे तौर पर और बड़े पैमाने पर जन स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं।
उन्होंने कहा कि लाउडस्पीकर और घंटी बजाने जैसी धार्मिक अभिव्यक्तियाँ नागरिकों के स्वास्थ्य और शांतिपूर्ण जीवन के अधिकार का उल्लंघन कर रही हैं। इसलिए पक्षपात के आरोपों से बचने के लिए सभी धर्मों में समान रूप से इन पर अंकुश लगाया जाना चाहिए।
भगवान को बहरा बना रहे हैं?
रिटायर्ड जस्टिस रोहिंटन नरीमन ने ये बातें पिछले दिनों तिरुवनंतपुरम के प्रेस क्लब में केएम बशीर स्मृति व्याख्यान के दौरान कहीं। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि आजकल हर धर्म अपने विरोध में ज्यादा ज़ोर से आवाज उठा रहा है और भगवान को बहरा बना रहा है। मुझे लगता है कि या तो कोई मस्जिद के लाउडस्पीकर पर चिल्ला रहा है या कोई मंदिर की घंटियाँ जोर-जोर से बजा रहा है। यह सब बंद होना चाहिए क्योंकि इससे ध्वनि प्रदूषण होता है।”
सभी राज्यों से अपील
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने आगे कहा, “अगर इससे ध्वनि प्रदूषण होता है, तो यह सीधे तौर पर स्वास्थ्य के दायरे में आता है और मेरे हिसाब से हर राज्य को जल्द से जल्द मस्जिदों और मंदिरों में लाउडस्पीकर और घंटी बजाने जैसी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए, ताकि सुबह-सुबह लोगों को परेशानी न हो और उनकी नींद में खलल न पड़ सके।” जस्टिस रोहिंटन ने कहा, “यह फिर से एक ऐसी चीज़ है जिसे राज्य को अपने हाथ में लेना चाहिए और इसे सभी पर समान रूप से लागू करना चाहिए ताकि आप फिर से यह न कह सकें कि आप अमुक का पक्ष ले रहे हैं या अमुक का विरोध कर रहे हैं। आप इसे पूरी तरह से बंद कर दें। आप ऐसे सभागारों में लाउडस्पीकर लगा सकते हैं जहाँ हर कोई किसी न किसी को सुनना चाहता है और कुछ भी बाहर नहीं जाता लेकिन आप बाहर लाउडस्पीकर नहीं लगा सकते जिससे शोर और उपद्रव होता है।”
संविधान की प्रस्तावना की दिलाई याद
इस चर्चा को संवैधानिक संदर्भ में रखते हुए, उन्होंने याद दिलाया कि प्रस्तावना “हम भारत के लोग” से शुरू होती है, जिसमें हर नागरिक शामिल है, न कि केवल बहुसंख्यक या कोई एक समुदाय। उन्होंने कहा, “हम भारत के लोग” का अर्थ भारत के बहुसंख्यक या भारत की वयस्क पुरुष आबादी नहीं है। इसका अर्थ है “हम भारत के लोग”। इसलिए हम सभी भारत के लोग हैं। यह एक ऐसी बात है जिसे कभी नहीं भूलना चाहिए।”
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved