img-fluid

पटाखों को लेकर बोले पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज, “धर्म के नाम पर पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए”

October 30, 2025

नई दिल्ली । राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) में पटाखों और प्रदूषण (Firecrackers and pollution) को लेकर छिड़ी बहस के बीच भारत के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के पूर्व जज जस्टिस अभय एस ओका (Justice Abhay S. Oka) ने बड़ी बात कही है। जस्टिस ओका ने बुधवार को एक कार्यक्रम में कहा है कि पटाखे फोड़ना, लाखों लोगों का नदियों में स्नान करना, मूर्ति विसर्जन और धार्मिक उत्सवों में लाउडस्पीकर का उपयोग करना जैसी चीजें संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत जरूरी धार्मिक प्रथाओं का हिस्सा नहीं है। जस्टिस ओका ने इस दौरान यह भी कहा है कि कोई भी धर्म हमें पर्यावरण को बर्बाद करने की इजाजत या प्रोत्साहन नहीं देता। उन्होंने कहा कि कोई भी धर्म हमें पर्यावरण की रक्षा करना और जीवों के प्रति दया दिखाना सिखाता है।


सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित “स्वच्छ वायु, जलवायु न्याय और हम – एक सतत भविष्य के लिए एक साथ’ कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘दुर्भाग्य से धर्म के नाम पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने की आदत हो गई है। अगर हम भारत के सभी धर्मों के सिद्धांतों का गहन अध्ययन करें तो हम पाएंगे कि पर्यावरण की रक्षा और जीवों के प्रति दया का संदेश हर धर्म के सिद्धांतों में निहित है।’

जानवरों पर क्रूरता करने की अनुमति नहीं देता धर्म
जस्टिस ओका ने आगे कहा, ‘कोई भी धर्म हमें पर्यावरण को नष्ट करने की अनुमति नहीं देता। धर्म हमें पर्यावरण की रक्षा करना और जीवों और जानवरों के प्रति दया दिखाना सिखाता है। कोई भी धर्म हमें त्योहार मनाते समय जानवरों पर क्रूरता करने की अनुमति नहीं देता।’

अनुच्छेद 21 का हो रहा उल्लंघन
पर्यावरण संरक्षण की जरूरत पर बात करते हुए जस्टिस ओका ने आगे कहा कि प्रदूषण को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना जाना चाहिए। इसमें मानवीय गरिमा के साथ जीने का अधिकार भी शामिल है। उन्होंने कहा, ‘मेरा दृढ़ विश्वास है कि जब तक आपके पास अच्छा वातावरण नहीं होगा, मानवीय गरिमा के साथ जीना असंभव है।’ जस्टिस ओका ने कहा कि इसके उलट अगर हम पर्यावरण को तबाह करने की इजाजत देते हैं, तो हम संविधान की प्रस्तावना में निहित सामाजिक न्याय से खुद को वंचित कर रहे हैं।

वैज्ञानिक सोच विकसित करने की जरूरत- जस्टिस ओका
पर्यावरण के गंभीर प्रभावों पर और जोर देते हुए, जस्टिस ओका ने कहा कि इसके दूरगामी प्रभाव हैं और यह गरीबों और हाशिए पर रहने वालों पर गंभीर रूप से प्रभाव डालता है। उन्होंने कहा, “जल प्रदूषण से पीड़ित किसानों और मछुआरों से लेकर वायु प्रदूषण से प्रभावित दिल्ली के रेहड़ी-पटरी वालों तक पर्यावरण के नुकसान से सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब और हाशिए पर रहने वाले लोग हैं। उन्होंने कहा, ‘पर्यावरण का दोहन गरीबों और हाशिए पर रहने वालों की आजीविका को प्रभावित करता है। दिल्ली में प्रदूषण की बात करें तो इस हॉल में बैठे हम सभी के घरों और दफ्तरों में एयर प्यूरीफायर लगे हैं। लेकिन दिल्ली की अधिकांश आबादी इन मशीनों का खर्च नहीं उठा सकती।’पूर्व न्यायाधीश ने कहा है कि वैज्ञानिक सोच विकसित करते हुए पर्यावरण की रक्षा करना प्रत्येक नागरिक का मौलिक कर्तव्य है।

Share:

  • पुलिस का गजब कारनामा! पहली क्लास के बच्चे को भेजा शांति भंग का नोटिस, अब होगा एक्शन

    Thu Oct 30 , 2025
    अलीगढ़: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के अलीगढ़ जिले (Aligarh District) से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां लापरवाही के चलते पुलिस (Police) ने पहली क्लास के छात्र (Student) को शांति भंग मामले (Breach of Peace Cases) में पाबंदी नोटिस भेज दिया. नोटिस में बच्चे का नाम देखकर परिजन हैरान रह गए. अब […]
    सम्बंधित ख़बरें
    लेटेस्ट
    खरी-खरी
    का राशिफल
    जीवनशैली
    मनोरंजन
    अभी-अभी
  • Archives

  • ©2025 Agnibaan , All Rights Reserved