
लंदन । अफ्रीका के बाहर करीब 50 प्रतिशत लोगों के शरीर में ‘निएंडरथॉल’ (Neanderthal) एक ऐसा जीन है, जिसने उनके कोरोना वायरस के संक्रमण में आने पर गहन चिकित्सा की जरूरत को 20 प्रतिशत तक घटा दिया है। एक नये अध्ययन में यह दावा किया गया है। निएंडरथॉल, आदि मानव का वह समूह था, जो धरती पर प्रतिनूतन युग के दौरान कम से कम दो लाख साल पहले अस्तित्व में आया था। बाद में, उनकी जगह आधुनिक मानव (Homo Sapiens) ने संभवत: 35,000 से 24,000 साल पहले ली थी।
अनुसंधानकर्ताओं (Researchers) ने पहले के एक अध्ययन में यह प्रदर्शित किया था कि रोगों को खतरा कम करने वाला यह जीन निएंडरथॉल से मिला है। वहीं, पीएनएएस जर्नल (PNAS Journal) में प्रकाशित मौजूदा अध्ययन में कहा गया है कि मानव के इन पूर्वजों ने आज के समय के मानव को एक रक्षात्मक जीन भी दिया।
वैज्ञानिकों के मुताबिक यह जीन वायरस (Gene virus) के संक्रमण से आने के बाद गहन चिकित्सा की जरूरत को 20 प्रतिशत तक कम कर देता है। अध्ययन के मुताबिक ओएएस (OAS) नाम का यह जीन शरीर में उस प्रोटीन की गतिविधियों में एक अहम भूमिका निभाता है, जो वायरल जीनोम को तोड़ता है।
अध्ययन में कहा गया है कि इस प्रोटीन का निएंडरथॉल (Neanderthal) स्वरूप इसे कहीं अधिक कारगर तरीके से करता है। अध्ययन के सह लेखक एवं कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट से संबद्ध हुगो जेबर्ग ने कहा, ‘‘इससे यह प्रदर्शित होता है कि निएंडरथल से हमें जो विरासत में मिला है ,वह सार्स-कोवि-2 के प्रति हमारी प्रतिक्रिया के मामले में एक दो धारी तलवार है। अध्ययन में यह भी प्रदर्शित किया गया है कि निएंडरथॉल से विरासत में मिले रक्षात्मक जीन ने अंतिम हिमयुग से अपना दायरा बढ़ाया और अब यह अफ्रीका के बाहर रहने वाली करीब आधी आबादी में है।
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