पेरिस । फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (French President Emmanuel Macron) ने फिलिस्तीन को स्वतंत्र देश (Palestine Independent State) के रूप में मान्यता देने की घोषणा की है। फ्रांस के इस फैसले से इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भड़क गए हैं। उन्होंने शुक्रवार को फ्रांस के इस ऐतिहासिक फैसले की कड़ी आलोचना की और कहा कि यह कदम “आतंकवाद को इनाम देने” और इजरायल के अस्तित्व के लिए “खतरा” साबित होगा।
नेतन्याहू ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, “स्पष्ट रूप से कहूं तो, फिलिस्तीनी नहीं चाहते कि उनके पड़ोस में इजरायल जैसा कोई देश हो, वे इजरायल की जगह एक देश चाहते हैं।” उन्होंने चेतावनी दी कि फिलिस्तीन को देश का दर्जा देने से एक और ईरानी मुखौटा संगठन को जगह मिल जाएगी, जिससे इजरायल पर हमले की नई जमीन तैयार हो सकती है।
इसके अलावा, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने की योजना की कड़ी निंदा की है। रुबियो ने इस कदम को “लापरवाही भरा फैसला” करार देते हुए कहा कि यह हमास के प्रचार को बढ़ावा देता है और शांति प्रक्रिया को पीछे धकेलता है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “अमेरिका मैक्रों के संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन देश को मान्यता देने की योजना को दृढ़ता से खारिज करता है। यह लापरवाह निर्णय 7 अक्टूबर के पीड़ितों के लिए एक तमाचा है।”
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने घोषणा की है कि उनकी सरकार संयुक्त राष्ट्र महासभा की आगामी बैठक में फिलिस्तीन को औपचारिक रूप से मान्यता देगी। फ्रांस की इस घोषणा के साथ अब 142 देश फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दे चुके हैं। मैक्रों ने कहा, “मैं इस आगामी सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के समक्ष यह गंभीर घोषणा करूंगा।”
राष्ट्रपति मैक्रों ने एक्स पर लिखा, “हमें अंततः फिलिस्तीन देश का निर्माण करना होगा, उसकी व्यवहार्यता सुनिश्चित करनी होगी। फिलिस्तीन को यह स्वीकार कराना होगा कि वह हथियार नहीं रखेगा और इजरायल को पूरी तरह से मान्यता देगा। उसे मध्य पूर्व में सभी की सुरक्षा में योगदान देने योग्य बनाना होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि यह निर्णय फ्रांस की लंबे समय से चली आ रही उस प्रतिबद्धता का हिस्सा है जिसमें वह मध्य पूर्व में स्थायी शांति स्थापित करना चाहता है। उन्होंने गाजा में चल रहे युद्ध को समाप्त करने और वहां फंसे नागरिकों को बचाने की भी अपील की।
जहां एक ओर इजरायल ने इस फैसले की निंदा की है, वहीं फिलिस्तीनी प्रशासन ने फ्रांस की इस घोषणा का स्वागत किया है। फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन (PLO) के उपाध्यक्ष हुसैन अल शेख ने समाचार एजेंसी एपी से कहा, “यह रुख अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रति फ्रांस की प्रतिबद्धता और फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार के समर्थन को दर्शाता है।”
विशेषज्ञों का मानना है कि फ्रांस के इस कदम से पश्चिमी देशों में एक नई बहस शुरू हो सकती है और अन्य यूरोपीय देश भी फिलिस्तीन को मान्यता देने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। इससे इजरायल पर कूटनीतिक दबाव बढ़ेगा, जो पहले से ही गाजा युद्ध को लेकर अंतरराष्ट्रीय आलोचना का सामना कर रहा है।
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