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इंदौर सहित 49 जिलों में प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक़ योजना में हुआ फर्जीवाड़ा, ठेकेदारों, इंजीनियरों की मिलीभगत आई सामने

January 27, 2025

  • 3389 चालान निकले फर्जी, 414 करोड़ का सडक़ घोटाला उजागर

इंदौर। कैग की तमाम रिपोर्ट में मध्यप्रदेश में होने वाले भ्रष्टाचारों को उजागर किया जाता है, मगर उस पर तो भाजपा खामोश रहती है, मगर दिल्ली सहित अपनी विपक्ष की सरकारों पर अवश्य कैग की रिपोर्टों को लेकर हल्ला मचाती है। अभी कैग ने मध्यप्रदेश में ही इंदौर सहित 49 जिलों में प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक़ योजना में हुए फर्जीवाड़े को उजागर किया, जिसमें पता चला कि 414 करोड़ की तो सरकार को चपत ही लगाई गई, वहीं कैग ने 9903 चालानों की जांच की, तो उसमें से 3389 चालान बोगस यानी फर्जी निकले। ये चालान रिफाइनरियों द्वारा जारी होना नहीं पाए गए। ठेकेदारों और इंजीनियरों की मिलीभगत इसमें उजागर हुई।

पहले भाजपा केन्द्र में काबिज रही। कांग्रेस सरकार पर कैग द्वारा उजागर घोटालों को लेकर हल्ला मचाती रही और अब इस तरह की रिपोर्ट पर सडक़ से लेकर संसद और ना ही न्यूज चैनलों के स्टूडियो में कोई चर्चा होती है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक सीएजी यानी कैग हर साल मध्यप्रदेश में ही कई बड़े-बड़े घोटाले पकड़ चुकी है। अभी हाल ही में मध्यप्रदेश में ग्रामीण सडक़ के निर्माण में बीटूमिन की खरीदी में बड़ा घोटाला सामने आया, जिसमें 414 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी कैग की रिपोर्ट में बताई गई है।


प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक़ योजना के तहत सडक़ों का निर्माण ग्रामीण क्षेत्रों में किया जाता है। प्रदेश के 49 जिलों में सडक़ निर्माण के कार्यों में शामिल ठेकेदारों ने बीटूमिन खरीदी के फर्जी और डूप्लीकेट चालान पेश कर दिए और जांच में पता चला कि किसी भी सरकारी रिफाइनरी से ये चालान जारी ही नहीं हुए। इतना ही नहीं, एक ही चालान को दो या तीन बार ही प्रस्तुत कर दिया गया और 3389 चालान तो बोगस भी पाए गए। 0.80 लाख मैट्रिक टन बीटूमिन की खरीदी के सबूत के तौर पर ये चालान पेश किए गए, जो जांच में रिफाइनरियों द्वारा जारी नहीं होना पाए गए। गलत तारीखों में भी चालान पेश किए गए और विभाग ने भी इस तरह फर्जीवाड़ा करने वाले दोषी ठेकेदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की और ना ही उनके टेंडरों को निरस्त किया गया। जबकि चालानों के वेरीफिकेशन में थोड़ी भी सावधानी बरती जाती तो आसानी से इसे पकड़ा जा सकता था। मगर चूंकि ठेकेदारों के साथ विभागीय अफसरों-इंजीनियरों की सीधी मिलीभगत थी, जिसके चलते इस सुनियोजित घोटाले को अंजाम दिया जाता रहा। लगभग 12 हजार किलोमीटर सडक़ों में से सिर्फ 5100 किलोमीटर का ही निर्माण हुआ और जनप्रतिनिधियों की सहमति भी इसमें सामने नहीं आई। अब कैग ने दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की सिफारिश करते हुए ठेकेदारों से भी इसकी वसूली करने को कहा है।

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