img-fluid

कांग्रेस के विधायक से NDA की पसंद के उपराष्ट्रपति तक; खास है जगदीप धनखड़ का सफर

July 22, 2025

नई दिल्‍ली । उपराष्ट्रपति(Vice President) जगदीप धनखड़(Jagdeep Dhankhar) ने स्वास्थ्य कारणों(Health Reasons) का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा(Resignation from office) दे दिया है। उनके इस इस्तीफे ने राजस्थान के किसान परिवार से आने वाले उस लड़के के राजनीतिक करियर पर एक छोटा सा विराम लगा दिया है, जिसने जनता पार्टी के सांसद से कांग्रेस के विधायक और फिर हाल में एनडीए के पसंदीदा उम्मीदवार के रूप में उपराष्ट्रपति पद तक का सफर किया है। पेशे से वकील जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट तक में वकालत भी की है। तो आइए जानते हैं उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे चुके जगदीप धनखड़ के बारे में…

सुप्रीम कोर्ट के वकील से जनता दल के सांसद तक


राजस्थान के झुंझूनूं जिले के एक किसान परिवार में जन्में धनखड़ ने कानून की पढ़ाई करने के बाद सुप्रीम कोर्ट तक में वकालत में अपना हाथ आजमाया। वकालत में अपनी किस्मत आजमा रहे धनखड़ का रुझान जल्दी ही राजनीति की तरफ होने लगा। राजीव गांधी सरकार के खिलाफ चले रुझान के दौरान वह जनता दल में शामिल हो गए। इसके बाद जनता दल के टिकट पर ही उन्होंने अपने गृह जिले झुंझुनूं से ही लोकसभा चुनाव लड़ा और सांसद चुने गए। एक कुशल वक्ता और बेहतर नेता के रूप में अपनी छवि बनाते हुए धनखड़ केंद्रीय राज्य मंत्री भी बनें।

कांग्रेस से बने विधायक

जनता दल के बिखरने के बाद धनखड़ ने एक कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया। 1993 में राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव में धनखड़ कांग्रेस के टिकट पर किशनगढ़ विधानसभा से चुनाव लड़ा और जीतकर विधानसभा पहुंचे। हालांकि कांग्रेस के साथ धनखड़ की ज्यादा बनीं नहीं। हालांकि उन्होंने विधायक के रूप में अपने पांच साल पूरे किए। इसके बाद वह भारतीय जनता पार्टी के साथ आ गए।

भाजपा के कुशल नेता

भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद धनखड़ ने लंबे समय तक पार्टी कार्यकर्ता के रूप में अपनी सेवाएं दीं। इसके बाद वह पार्टी प्रवक्ता और सलाहकार के रूप में अपनी भूमिका निभाते रहे। वर्ष 2019 में मोदी सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति ने उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त कर दिया।

बंगाल के राज्यपाल के रूप में देश में बनी पहचान

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में जगदीप धनखड़ को पूरे देश में पहचान मिली। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ लगातार टकराव के चलते वह लगातातर चर्चाओं में रहे। संवैधानिक मर्यादाओं और सीमाओं पर उनकी सख्त राय ने उन्हें एक बार फिर राष्ट्रीय पटल पर ला खड़ा किया।

एनडीए के पसंदीदा उपराष्ट्रपति

ममता बनर्जी के साथ लगातार चलती खींचतान के बीच मोदी सरकार ने 2022 में उन्हें एनडीए से उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना दिया। विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को बड़े अंतर से हराकर धनखड़ देश के 14 वें उपराष्ट्रपति चुने गए। उनके उपराष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान उन्होंने बार-बार संविधान की सर्वोच्चता, संसद की गरिमा और न्यायपालिका की सीमाओं पर खुलकर अपनी राय रखी। कई बार उनके बयान विवादों में भी आए, लेकिन वे अपने विचारों से पीछे नहीं हटे।

Share:

  • ईडी से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए बोले CJI गवई, "ना हम समाचार देखते हैं, ना ही यूट्यूब पर इंटरव्यू"

    Tue Jul 22 , 2025
    नई दिल्‍ली । केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (Ed) के खिलाफ उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) को ‘आख्यानों’ से प्रभावित नहीं होने की अपील करने वाली एक टिप्पणी पर प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई (Chief Justice B R Gavai) ने सोमवार को अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम समाचार नहीं देखते, ना ही […]
    सम्बंधित ख़बरें
    लेटेस्ट
    खरी-खरी
    का राशिफल
    जीवनशैली
    मनोरंजन
    अभी-अभी
  • Archives

  • ©2025 Agnibaan , All Rights Reserved