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माल्या-नीरव से गोवा अग्निकांड तक, देश छोड़कर भागना अब आसान नहीं ?

December 14, 2025

नई दिल्‍ली । किसी देश का कानून (Country’s law) वहीं खत्म हो जाता है, जहां से उसकी भौगोलिक सरहद (Geographical boundaries) खत्म होती है। इसी के साथ शुरू होता है अन्य देशों से कानूनी सहभागिता का रिश्ता। कई अपराधी देश छोड़ कर भागने में कामयाब हो जाते हैं। इनमें बड़ी संख्या होती है आर्थिक अपराधियों की। कई मामलों में आर्थिक अपराधी देश छोड़ने के बादविदेश में शानदार जीवन जीते नजर आते हैं।



हाल में गोवा नाइट क्लब अग्निकांड के बाद इसके सह-मालिक गौरव और सौरभ लूथरा रातोंरात थाईलैंड भाग गए। हालांकि इंटरपोल के नोटिस के बाद दोनों हिरासत में ले लिए गए और उन्हें शीघ्र ही भारत लाया जा सकता है। कुछ दिन पहले अमेरिका से एक अपराधी अनमोल बिश्नोई को प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया। लगभग साल भर पहले मुंबई बम धमाके के आरोपियों में से एक डेविड कोलमैन हेडली को लंबे कानूनी संघर्ष के बाद भारत लाने में कामयाबी मिली। ऐसे कई आरोपी हैं, जो अभी भी देश के हाथों में नहीं आए हैं। इनमें मेहुल चौकसी, नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे लोग भी शामिल हैं। हाल में बेल्जियम के उच्चतम न्यायालय ने भगोड़े मेहुल चौकसी के भारत प्रत्यर्पण को रोकने की याचिका खारिज कर दी। पिछले लंबे समय से भारत सरकार ने भगोड़े आर्थिक अपराधियों के खिलाफ मुहिम छेड़ रखी है। गोवा अग्निकांड के अपराधियों की भारत वापसी की कवायद इसकी मिसाल है। मसले पर जनसत्ता सरोकार की पड़ताल।

बीते पांच वर्षों में सीबीआइ 134 भगोड़ों को देश में वापस लाने में कामयाब रही है। यह संख्या साल 2010 से 2019 के बीच पूरे दशक के दौरान विदेश से लाए गए भगोड़ों की दोगुनी है। इनमें से 23 भगोड़ों को अकेले इसी वर्ष वापस लाया गया। इसके लिए सीबीआइ ने इंटरपोल के साथ-साथ राज्य और केंद्रीय प्रवर्तन एजंसियों के साथ घनिष्ठ समन्वय बनाया। नतीजतन साल 2020 से इन 134 भगोड़ों का प्रत्यर्पण या निर्वासन सुनिश्चित करने में सफलता मिली। वहीं, 2010 से 2019 के बीच के दशक के दौरान यह संख्या केवल 74 थी।

केंद्र सरकार ने कुख्यात कारोबारियों विजय माल्या और नीरव मोदी सहित 15 व्यक्तियों को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया है। इन पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सामूहिक रूप से 58,000 करोड़ बकाया है। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया गया कि केंद्र सरकार ने विजय माल्या और नीरव मोदी सहित 15 व्यक्तियों को 31 अक्तूबर, 2025 तक भगोड़े आर्थिक अपराधी (एफईओ) घोषित किया है।

कुल मिलाकर, भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 (एफईओए) के अनुसार, इन भगोड़े आर्थिक अपराधियों पर लगभग 12 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का कुल 58,082 करोड़ बकाया है। इसमें गैर-निष्पादित अभियोग (एनपीए) की तिथि तक 26,645 करोड़ की मूल राशि और एनपीए की तिथि से 31 अक्तूबर 2025 तक अर्जित 31,437 करोड़ का ब्याज शामिल है। सरकार ने अपने जवाब में कहा कि 31 अक्तूबर 2025 तक इन अपराधियों से 19,187 करोड़ वसूल किए जा चुके हैं। इन 15 अपराधियों में से नौ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के खिलाफ किए गए बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी में शामिल हैं।

माल्या और नीरव के खिलाफ आरोप

विजय माल्या पर भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एक संघ से उनकी अब बंद हो चुकी किंगफिशर एअरलाइंस के लिए लिए गए 9,000 करोड़ रुपए से अधिक के ऋण में धोखाधड़ी का आरोप है। नीरव मोदी पर अपने चाचा मेहुल चोकसी के साथ मिलकर पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के खिलाफ 13,000 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप है। यह भारत के इतिहास में सबसे बड़े बैंकिंग घोटालों में से एक है।

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