
नई दिल्ली: भारत वायुसेना (Indian Air Force) अपने बेड़े में ऐसे-ऐसे फाइटर जेट (Fighter Jet) को शामिल करने जा रही है, जिसका नाम सुनते ही दुश्मनों के होश उड़ जाएंगे. हाल ही में इंडियन एयरफोर्स ने मिग-21 की जगह लेने के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (Hindustan Aeronautics Limited) को 97 मार्क-1A लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (Combat Aircraft) बनाने का कॉन्ट्रैक्ट दिया है. केंद्र और HAL के साथ इसे लेकर 62,370 करोड़ रुपये की डील हुई है. HAL को तेजस फाइटर जेट के लिए मिला यह दूसरा ऑर्डर था.
मिग-21 के रिटायर होने के बाद भारतीय वायुसेना में 42 की जगह 29 स्क्वाड्रन ही फिलहाल बचे हैं. भारत जल्द ही रूस से Su-57 फाइटर जेट खरीदने की भी प्लान कर रहा है. बताया जा रहा है कि भारत दो दो स्क्वॉड्रन के लिए जरूरी 36 फाइटर जेट सीधे रूस से लेगा. हालांकि सरकार की ओर से अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है.
आईडीआरडब्ल्यू की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय वायुसेना ने अपनी ताकत में 30-35 फीसदी की बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा है. ऐसा होते ही भारतीय वायुसेना के स्क्वाड्रन की संख्या 54 से 56 तक पहुंच जाएगी. एयरफोर्स के एक स्क्वाड्रन में 18 से 20 लड़ाकू विमान होते हैं. वायुसेना सिर्फ फाइटर जेट की संख्या को बढ़ाने पर जोर नहीं दे रही, बल्कि तकनीक और क्षमता को भी और एडवांस किया जा रहा है.
अभी तक भारत दो मोर्चों पर युद्ध लड़ने के लिए 42 स्क्वाड्रन का लक्ष्य रखा था. ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत अब अपने स्क्वाड्रन की संख्या बढ़ाने पर भी फोकस कर रहा है. भारत से पीटने के बाद पाकिस्तान एयर फोर्स (PAF) चीन के साथ मिलकर अपनी क्षमता को बेहतर करने में जुटा है. भारतीय वायुसेना का ध्यान तेजस Mk2 और पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) को डेवलप करने पर भी है, जो भारत में ही होगा.
रूस का Su-57 एक एडवांस्ड फाइटर जेट है, जिसमें सेंसर और सिग्नेचर मैनेजमेंट दोनों उपलब्ध है, जबकि राफेल में ये दोनों एक साथ नहीं मिलता है. इसमें मौजूद रडार सिस्टम जल्द से जल्द दुश्मन की पहचान करता है और इसका इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सिस्टम मिसाइल को चेतावनी देता है. भारतीय वायुसेना के पास 56 स्क्वाड्रन होते ही कुल फाइटर जेट की संख्या 1000 से ज्यादा हो जाएगी, जिससे पाकिस्तान और चीन की नींद उड़ी हुई है.
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