
बनारस। बीएचयू (BHU) के धर्म विज्ञान संकाय (Religious Sciences Faculty) के प्रोफेसर और उनकी टीम द्वारा किए गए ताजा शोध (Research) में ये बात सामने आई है कि जिन जोड़ो की कुंडली नहीं मिलती, ऐसी केवल 37 फीसदी शादियां ही जीवन भर चल पाती हैं. इस साल इंदौर की सोनम (Indore’s Sonam) से लेकर मेरठ के मुस्कान (Meerut’s Muskan) कांड की खबरों ने शादी के सात जन्मों के गठबंधन पर नई बहस छेड़ दी है. इन घटनाओं के बीच BHU के ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर विनय पांडेय, नेपाल निवासी उनकी शोध छात्रा और दूसरी टीम ने मिलकर एक शोध शुरू किया. शोध के शुरुआती अध्ययन में ये बात सामने आई है कि जिन जोड़ो की कुंडली नहीं मिलती, ऐसे 37 फीसदी जोड़े ही अपने विवाह को प्रेम और समर्पण के साथ निभा पाते है, जबकि जिनकी कुंडली आपस में मिलती है उनका सक्सेस रेट 67 फीसदी से ज्यादा है।
जिन्होंने शोध में बताया कि उनकी कुंडली नहीं मिली और वैवाहिक जीवन अच्छा चल रहा है, उनकी जब कुंडली मिलाई गई तो वो अच्छे गुणों के साथ मिली. फिलहाल अभी इस शोध का एक साल बाकी है. ये शोध वाराणसी समेत पूर्वांचल, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पड़ोसी नेपाल में भी किए गए. शोध में बीएचयू के ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर विनय पांडे के साथ आशुतोष त्रिपाठी और अमित कुमार मिश्रा भी शामिल रहे. शोधार्थी गणेश प्रसाद और नेपाल की पीएचडी छात्रा रोदना घिनरे ने यह स्टडी की।
ऐसे जुटाए गए सैंपल
आंकड़े दो स्तरों पर जुटाए गए. पहला, बीएचयू की ज्योतिष ओपीडी में आने वाले देशभर के दंपतियों को केस स्टडी के रूप में शामिल किया गया. दूसरा, अलग-अलग जिलों और प्रदेशों में गए शोधार्थियों ने करीब 250 दंपती को केस के रूप में चुना. शादी के तीन साल के भीतर तलाक के हालात तक पहुंचे केसों को स्टडी में प्रमुखता से शामिल किया गया. हालांकि, अभी शोध जारी है, और देखना दिलचस्प होगा कि शादियों को लेकर इस रिसर्च का भविष्य में क्या असर देखने को मिलता है।
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