
इंदौर। राजस्व अधिकारियों के न्यायिक और गैर-न्यायिक दो वर्गों में विभाजन के निर्देश के बाद एक बार फिर तहसीलदार शासन की योजना के खिलाफ लामबंद हो गए हैं। आज से सभी तहसीलदार कलेक्टर कार्यालय मुख्यालय में एकजुट होकर उपस्थित होंगे, लेकिन कोई काम नहीं करेंगे। आज सरकारी डोंगल व वाहन सरेंडर करने के बाद काम बंद कर देंगे। राजस्व अधिकारियों को न्यायिक और गैर-न्यायिक दो वर्गों में विभाजन के निर्देश को लेकर पूरे प्रदेश में अधिकारी एक साथ विरोध प्रदर्शन पर उतर आए हैं।
हाल ही में भोपाल में मंत्रियों के साथ हुई बैठक में पदाधिकारी ने विभाजन योजना से होने वाली व्यावहारिक समस्याओं से अवगत कराया था, जिसके बाद उन्हें मौखिक आश्वासन दिया गया था और कहा गया था कि तीन माह तक यह योजना पायलट प्रोजेक्ट के रूप में मात्र 12 जिलों में ही लागू की जाएगी। राजस्व न्यायालयों को मर्ज नहीं किया जाएगा और न्यायिक एवं गैर-न्यायिक (कार्यपालिक मजिस्ट्रेट) अधिकारियों को गाड़ी, बैठक व्यवस्था सहित सुनिधाएं भी देंगे, लेकिन आश्वासन के बाद भी धार, भिंड, खरगोन, बालाघाट, मंदसौर, देवास, कटनी, मंडला, रीवा में कलेक्टर द्वारा लागू करवा दी है। इसके विरोध में आज से सभी अधिकारी अपने शासकीय वाहन जिलों में जमा करा देंगे एवं अपने डिजिटल सिग्नेचर के डोंगल सीलबंद कर एकत्र कर जिला अध्यक्ष को सौंपने के बाद जिलों के आधिकारिक वॉट्सऐप ग्रुप भी छोड़ देंगे। हालांकि प्रतिदिन शाम 6बजे जिले की स्थापना शाखा में उपस्थिति पत्रक पर हस्ताक्षर कर अपनी हाजिरी देंगे।
न अवकाश न हड़ताल
शासन की इस दोगली रणनीति के बाद तहसीलदार संगठन ने निर्णय लिया है कि जब तक योजना वापस नहीं ली जाती, तब तक अनिश्चितकालीन तहसीलदार व नायब तहसीलदार आपदा प्रबंधन कार्यों को छोडक़र कोई भी अन्य काम नहीं करेंगे। अधिकारियों ने बताया कि कोई भी सामूहिक अवकाश या हड़ताल पर नहीं जाएगा, बल्कि सभी राजस्व अधिकारी जिला मुख्यालय पर उपस्थित रहेंगे। दरअसल 45 प्रतिशत अधिकारियों को उनके मूल कार्य (राजस्व) से पृथक किया जा रहा है, इसलिए संघ ने मांग की है कि कार्यपालिक दंडाधिकारी की शक्तियां पुलिस विभाग या सामान्य प्रशासन विभाग अथवा किसी भी अन्य विभाग को सौंप दी जाएं।
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