
डेस्क: धर्म परिवर्तन (Religious Conversion) गिरोह के मास्टरमाइंड छांगुर बाबा (Chhangur Baba) उर्फ जमालुद्दीन (Jamaluddin) को लेकर नए खुलासे हो रहे हैं. उत्तर प्रदेश एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (Anti Terrorist Squad) द्वारा की गई छापेमारी (Raid) में एक लाल डायरी (Red Diary) बरामद हुई है, जिसमें कई नेताओं और पूर्व अधिकारियों के नाम दर्ज हैं. इन पर आरोप है कि 2022 के विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) में छांगुर बाबा से उन्हें मोटी रकम मिली थी. इस मामले में अब ATS के साथ-साथ STF और प्रवर्तन निदेशालय भी जांच में जुट गई हैं. डायरी में 106 करोड़ की विदेशी फंडिंग से जुड़े नेटवर्क का सुराग मिल सकता है.
छांगुर बाबा का असली नाम जमालुद्दीन है और वह उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के रहरा माफी गांव का निवासी है, जो नेपाल सीमा से लगा है. उसने अपने करियर की शुरुआत साइकिल पर अंगूठियां और ताबीज बेचकर की थी. लेकिन पिछले एक दशक में वह करोड़ों की संपत्ति और नेटवर्क बनाने में कामयाब हुआ. मध्य-पूर्व देशों से आए दान से उसकी आर्थिक ताकत बढ़ती गई. जांच में पता चला है कि उसके 40 से अधिक सक्रिय बैंक खाते थे, जिनके जरिए करीब 106 करोड़ रुपये ट्रांसफर हुए. बलरामपुर और महाराष्ट्र के लोनावला में उसकी दो संपत्तियां हैं, जिनकी कीमत 18 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है.
ईडी के मुताबिक, लोनावला की जमीन छांगुर बाबा ने अगस्त 2023 में एक सहयोगी के साथ मिलकर खरीदी थी. यह संपत्ति मोहम्मद अहमद खान नामक व्यक्ति से खरीदी गई, जो संदिग्ध फंड ट्रांसफर का भी हिस्सा बताया जा रहा है.
लाल डायरी में जो सबसे सनसनीखेज बात सामने आई है, वह है राजनीतिक फंडिंग. डायरी के मुताबिक, कम से कम आधा दर्जन नेताओं को छांगुर बाबा ने नकद राशि दी थी. एक एंट्री में बताया गया है कि 2022 में उत्तरौला विधानसभा सीट से एक पूर्व प्रत्याशी को 90 लाख रुपये दिए गए थे. हालांकि वह प्रत्याशी चुनाव हार गया, लेकिन डायरी से पता चला है कि छांगुर बाबा 2027 में उसी सीट से एक पूर्व IPS अधिकारी को समर्थन देने की योजना बना रहा था.
छांगुर बाबा को 5 जुलाई को लखनऊ के एक होटल से नीतू उर्फ नसीरीन के साथ गिरफ्तार किया गया. उस पर आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों , विधवाओं, दिहाड़ी मजदूरों, अनुसूचित जातियों को धर्मांतरण के लिए पैसा, लालच और शादी का झांसा देकर धर्म बदलवाने का आरोप है. इस केस की शुरुआत STF द्वारा बलरामपुर में दर्ज मामले से हुई. इसके बाद 9 जुलाई को ED ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच भी शुरू की.
ईडी यह भी पता लगा रही है कि क्या ये फंडिंग शेल कंपनियों या तीसरे पक्ष के संगठनों के जरिए हुई, जिनमें से कुछ के विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम (FCRA) के उल्लंघन के आरोपों में भी नाम आए हैं.
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved